सागर द्वीप के किसानों के लिए, औषधीय जड़ी-बूटियों से आई समृद्धि

दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय औषधि और पौष्टिक-औषधि बाजारों में ब्राह्मी की मांग को देखते हुए, सागर द्वीप के किसान धान की खेती छोड़कर जैविक ब्राह्मी अपना रहे हैं और अच्छा आर्थिक लाभ कमा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल राज्य के दूसरे स्थानों की तरह, सागर द्वीप के किसान पीढ़ियों से अपनी छोटी-छोटी जमीनों पर अपनी गुजारे के लिए धान उगा रहे हैं। लेकिन हाल ही में उन्हें एक औषधीय जड़ी बूटी, ब्राह्मी (Bacopa monnieri) के रूप में एक विकल्प मिल गया है, जो आय में वृद्धि और आजीविका-सुरक्षा प्रदान करती है।

कई शाखाओं वाली एक छोटी गूदेदार जड़ी-बूटी, ब्राह्मी गीली मिट्टी, उथले पानी और दलदल में प्राकृतिक रूप से बढ़ती है। ब्राह्मी का याददाश्त और अहसास (बोध) बढ़ाने में उपयोग का एक लंबा इतिहास है, और आयुर्वेद में इसे, याददाश्त और बुद्धि में सुधार के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा, ‘मेधा रसायन’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

ऐसा माना जाता है कि ब्राह्मी का प्राचीन वैदिक विद्वानों द्वारा, लंबे पुण्य भजनों और शास्त्रों के स्मरण के लिए उपयोग किया जाता था। ब्राह्मी में रासायनिक मिश्रणों के एक वर्ग, बेकोसाइड्स की मौजूदगी, मस्तिष्क में खून के प्रवाह को बढ़ाती है, इसलिए इसका उपयोग मस्तिष्क के स्वास्थ्य के पूरक के रूप में किया जाता है, विशेष रूप से अल्जाइमर रोग के उपचार में। इसके और भी औषधीय उपयोग हैं ।

राज्य औषधीय वनस्पति बोर्ड, पश्चिम बंगाल ने, 2016 में नामखाना प्रशासनिक ब्लॉक के गांव बखली में ब्राह्मी को एक फसल के रूप में शुरू किया। दो साल बाद सागर द्वीप के किसानों ने ब्राह्मी को उगाना शुरू कर दिया। वर्तमान में सागर द्वीप में  इसे 450 एकड़ में उगाया जाता है।

नामखाना ब्लॉक में ब्राह्मी 150 एकड़ में उगाई जाती है। हालांकि यहां के ज्यादातर किसान धान और सुपारी की खेती में लगे हुए हैं, लेकिन ज्यादा से ज्यादा किसान ब्राह्मी खेती की ओर रुख कर रहे हैं, क्योंकि इसमें मुनाफा काफी अधिक है।

पारम्परिक धान की खेती

हिमालय से बहने वाली और बंगाल की खाड़ी में मिल जाने वाली गंगा नदी होने के कारण, इसे स्थानीय रूप से गंगासागर के रूप में जाना जाता है| सागर द्वीप हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थान और एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल बन गया है। जनवरी में मनाए जाने वाले फसल उत्सव, मकर संक्रांति के समय, लाखों श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के लिए द्वीप पर जाते हैं।

504 वर्ग कि.मी. में फैले, 47 गाँवों के लगभग 40,000 परिवारों में से अधिकांश निवासी धान और सुपारी की खेती में लगे हुए हैं। ज्यादातर परिवारों के पास एक ज्यादा से ज्यादा एक एकड़ (3 बीघा) जमीन है, जिसमें रबी (मध्य नवंबर) के मौसम में इस्तेमाल के लिए वर्षा-जल इकठ्ठा करने के लिए एक छोटा तालाब होता है।

मछलियाँ पालने के अलावा, तालाब बतख पालन के लिए भी उपयोगी हैं। खरीफ (मई के शुरु में) के दौरान धान के अलावा, रबी की फसलों में वे कई सब्जियां और स्थानीय किस्म की एक दाल उगाते हैं।

सागर द्वीप के किसान हाल ही में, विलुप्त होने के खतरे वाली, खुशबूदार चावल की किस्म, कनकचूर और हिरनखुरी के संरक्षण के लिए, पौधों की किस्मों की सुरक्षा और किसानों के अधिकार प्राधिकरण (प्रोटेक्शन ऑफ़ प्लांट वेरायटीज एंड फार्मर्स राइट्स अथॉरिटी) द्वारा पौधों की सुरक्षा के अधिकार प्रदान करने के कारण चर्चा में थे।

एक अच्छा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार होने के कारण, अब अधिक किसान ब्राह्मी की खेती करते हैं (फोटो – सागर कृषि उन्नयन क्लस्टर के सौजन्य से)

फिर भी, धान से कम लाभ होने के कारण, हर साल अधिक से अधिक किसान धान से ब्राह्मी खेती की ओर जा रहे हैं। जहाँ धान से किसानों को खरीफ और रबी की फसलें मिलाकर 2,000 रुपये प्रति बीघा मिलता है, वहीं ब्राह्मी से हर साल चार फसलों के लिए 20,000 से 25,000 रुपये प्रति बीघा मिल जाता है।

खेती के लिए उपयुक्त स्थितियां

सागर द्वीप सुंदरबन के 54 बसे हुए द्वीपों में से एक है, जिसकी विशेषताएं मैंग्रोव के दलदल, जलमार्ग और छोटी नदियां हैं। यहाँ तटीय बाढ़ और तटीय कटाव का जोखिम भी रहता है। नदी और समुद्र की वजह से तटबंधों का टूटना, ज्वार-भाटा, लवणता और गायब हो रहे मैंग्रोव यहां आम बात हैं।

भौगोलिक स्थिति और कृषि-संबंधी परिस्थितियों के कारण, सागर द्वीप ब्राह्मी उगाने के लिए बहुत ही अनुकूल है। राज्य के राज्य औषधीय वनस्पति बोर्ड (एसएमपीबी) ने राज्य के 40 अलग-अलग स्थानों से ब्राह्मी इकठ्ठा की।

SMPB, पश्चिम बंगाल के निदेशक, प्रशांत कुमार सरकार ने बताया – “हमने दक्षिण 24 परगना, मुख्य रूप से सागर द्वीप, से इकठ्ठा किए नमूनों में ऊँचे दर्जे का फाइटोकेमिकल्स पाया, क्योंकि समुद्र के निकट होने और अक्सर समुद्री तूफानों के कारण, इसकी मिट्टी में नमक की मौजूदगी है, जो ब्राह्मी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है।”

कृषि कार्यों के तरीके

भूमि तैयार कर लेने के बाद, इसे दो दिन सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। तीसरे दिन ब्राह्मी के टुकड़ों को मैदान में बिखेर दिया जाता है, जिसके बाद ‘पाटा’ (सामानांतर दो बांसों को दोनों ओर दो बांसों से बांधकर बनाया जाता है) को चला कर जमीन को एकसार किया जाता है।

जमीन को 3 से 4 दिनों तक लगातार सींचा जाता है, जिससे उसकी कलियाँ दिखाई देने लगती हैं। पानी से तर कर देने के बाद, ‘आल’ (तटबंध) को पानी रोकने के लिए, सील कर दिया जाता है।

प्रदीप कुमार रे (66) पिछले एक दशक से, 135 कि.मि. का रास्ता हर हफ्ते, छह घंटे में रेलगाड़ी, बस, नौका और बाइक द्वारा तय करते हुए, सागर द्वीप का दौरा करते रहे हैं। वह ब्राह्मी की खेती में लगे किसानों के लिए एक संरक्षक और कृषि विज्ञान सलाहकार हैं।

प्रदीप कुमार रे ने VillageSquare.in को बताया – “क्योंकि ब्राह्मी का उपयोग दवाओं के निर्माण में किया जाता है, हमने यह सुनिश्चित किया है कि किसान सूखे गोबर और वर्मी कम्पोस्ट का खाद के रूप में उपयोग करके, केवल जैविक तरीके से खेती करें।”

धान की तुलना में ब्राह्मी उगाने का केवल आर्थिक लाभ ही नहीं है, बल्कि टिकाऊ भी है, क्योंकि केवल जैविक खादों का ही उपयोग किया जाता है| और क्योंकि फसल पर कीटों का आक्रमण विरले ही होता है, इसलिए कीटनाशक का कोई फायदा नहीं है।

120 से 140 दिनों में काटे जाने वाले धान के विपरीत, ब्राह्मी की पहली फसल, बुआई के 90 दिनों के भीतर काटी जाती है, जिसके बाद तीन और कटाई की जाती हैं। फसल चार साल तक खेत में खड़ी रहती है।

ब्राह्मी को लोकप्रिय बनाना

SMPB की पहल से पहले, दवा कम्पनियाँ कोलकाता के बड़ा बाजार से सूखी ब्राह्मी खरीदती थी, जो कीटनाशकों से अत्यधिक दूषित होती थी। इसके चलते SMPB के अधिकारियों ने किसानों के बीच काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों का सहयोग लिया, ताकि जैविक तरीकों का उपयोग करके ब्राह्मी की खेती की जा सके।

एक गैर-सरकारी संगठन, ‘सागर कृषि उन्नयन क्लस्टर’ के 15 गांवों के किसान सदस्य और 200 एकड़ जमीन इनके कार्य में शामिल हैं। ब्राह्मी की खेती को लोकप्रिय बनाने में शामिल एक और गैर-लाभकारी संगठन, स्वामी विवेकानंद यूथ कल्चरल सोसाइटी है।

परिवार की महिलाएं ब्राह्मी सुखाने और पैकिंग का काम करती हैं (फोटो – सागर कृषि उन्नयन क्लस्टर के सौजन्य से)

सागर कृषि उन्नयन क्लस्टर के सचिव, देबाशीष पात्रा (38) ने बताया – “पुरुष बुवाई और कटाई का काम करते हैं, तो परिवार की महिलाएं जड़ी-बूटी धूप में सुखाने और दूषित होने से बचाने और उसकी औषधीय महत्व को बनाए रखने के लिए, साफ और नए प्लास्टिक की थैलियों में पैकेजिंग जैसी गतिविधियों का ध्यान रखती हैं।” इसे चार से पांच दिनों तक धूप में साफ जगह या चादरों पर फैलाकर सुखाया जाता है, जिसके बाद एक सप्ताह तक इसे छाया में सुखाया जाता है।

बाजार में मांग

सूखे पदार्थ को साफ कंटेनरों में संग्रहित किया जाता है और मुंबई, बेंगलुरु और विजयवाड़ा की फार्मा कंपनियों को भेजा जाता है, ताकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए तैयार किया जा सके।

फार्मान्जा हर्बल प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, लाल हिंगोरानी बहुत से खरीदारों में से एक ​​हैं। वह 2014 से सागर द्वीप से ब्राह्मी की खरीद कर रहे हैं और खुद को यहां पैदा होने वाली अच्छी जड़ी-बूटी का लाभार्थी मानते हैं।

फसल के रूप में पेश किए जाने से पहले, ग्रामीण लोग दलदली क्षेत्रों में कुदरती तौर पर उगी ब्राह्मी इकठ्ठा करते थे और उसे बेचते थे। हिंगोरानी ने VillageSquare.in को बताया – “उन दिनों ब्राह्मी जंगल में उगा करती थी। धान की फसल के बाद, किसान इसे इकठ्ठा करते थे।”

हिंगोरानी, जो यूएसए और यूरोपीय देशों को बेकोसाइड्स का निर्यात करते हैं, ने बताया – “लेकिन अब क्योंकि इसकी खेती की जाती है, इसलिए हमें अच्छी सामग्री मिल पाती है। जल्दी ही हम किसानों को फसल को काटने के सही वक्त के बारे में समझा पाएंगे, ताकि उच्च स्तर के बेकोसाइड सुनिश्चित हो सकें।”

सागर द्वीप के किसानों की सफलता से पता चलता है कि पारम्परिक फसलों की तुलना में, औषधीय और सुगंधित पौधों वाली फसलों से उत्पादकों को काफी अधिक लाभ हो सकता है। ऐसा और अधिक, जब मस्तिष्क-स्वास्थ्य-कल्याण के गुणों के कारण यह जड़ी-बूटी, न्यूट्रास्यूटिकल मार्केट में, विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप में, अपनी तरह का एक अनूठा उत्पाद बन जाती है, जहां प्राकृतिक उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। इसके अलावा, यह 10 प्रमुख भारतीय आयुर्वेदिक कंपनियों की जरूरतों को पूरा करती है।

शीघ्र ही सागर द्वीप के ब्राह्मी उत्पादकों के पास अपना गोदाम होगा, जिसके लिए राज्य सरकार ने धन जारी कर दिया है। सरकार ने VillageSquare.in को बताया – “हम उम्मीद कर रहे हैं कि मार्च 2021 तक गोदाम तैयार हो जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसान इस तरह की सुविधाओं की कमी के कारण वापिस धान उगाना न शुरू कर दें।”

हिरेन कुमार बोस महाराष्ट्र के ठाणे में स्थित एक पत्रकार हैं। वह सप्ताहांत में एक किसान के रूप में काम करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।