पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता राजस्थान का ग्रामीण जीवन संग्रहालय

राजस्थान में पर्यटन का जिक्र आते ही भव्य महलों, नक्काशीदार दरवाजों और सोना जड़ित सिंहासनों, कीमती जरी के आभूषणों और चांदी की गाड़ियों वाले सुन्दर संग्रहालयों की तस्वीर सामने आती है। पश्चिमी राजस्थान की छवि क्षितिज तक फैले सुनहरे रंग के रेत के टीलों की है। जोधपुर से 15 कि.मी. जीवंत रेगिस्तान की परिधि पर… Continue reading पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता राजस्थान का ग्रामीण जीवन संग्रहालय

सफारी से मिला बस्तर पर्यटन को बढ़ावा

जब तीरथगढ़ झरने की आकर्षक काली परतों वाली चट्टानों पर गिरते पानी को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं, तो उन्हें यहां लाने वाले दिनेश कुमार पाण्डेय एक सुकून भरी मुस्कान के साथ देख रहे हैं। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से 3 किलोमीटर दूर के गांव, मौलिपादर के निवासी पाण्डेय, वन विभाग की सफारी पहल की… Continue reading सफारी से मिला बस्तर पर्यटन को बढ़ावा

कारगिल का खुबानी से बना “चमत्कारी पेय” – फटसींगु

एक धूप वाले दिन का पारा जैसे जैसे बढ़ता है, एक वृद्ध लद्दाखी किसान अपनी प्यास बुझाने के लिए जल्दी जल्दी अपने घर वापस आता है। वह एक छोटे मटके से नारंगी-पीला तरल पदार्थ एक गिलास में भरता है और आखिरी बूंद तक पी जाता है। कारगिल शहर के बाहरी इलाके में एक नदी के… Continue reading कारगिल का खुबानी से बना “चमत्कारी पेय” – फटसींगु

‘उल्टा दहेज – सशक्तिकरण या अधीनता?

जब दिल्ली, मुंबई या अन्य शहरों में लोग “हाशिये पर जीने वाले लोगों को मुख्यधारा में लाने की जरूरत” के बारे में बात करते हैं, तो मुझे हमेशा हैरानी होती है कि वे किसके बारे में बात कर रहे हैं। असल में, मेरे जैसे बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को पीछे मुड़कर देखने की… Continue reading ‘उल्टा दहेज – सशक्तिकरण या अधीनता?