खेत-समृद्धि को गति देता एक बस ड्राइवर

40 वर्षीय अमोल कदम, सतारा जिले के सूखा-संभावित पूर्वीं हिस्सों में अलग थलग और ख़राब हालात में बसे एक गाँव, जयगांव में रहते हैं। कम उम्र में ही उन्होंने पलायन किया और मुंबई एवं गोवा के बीच चलने वाली निजी बसों में सहायक और फिर ड्राइवर के रूप में काम करने लगे। कदम कहते हैं… Continue reading खेत-समृद्धि को गति देता एक बस ड्राइवर

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के काम पर न आने के खतरे

बांसखेड़ी गांव के एक प्राइमरी स्कूल के परिसर में, एक कमरे की आंगनवाड़ी (ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र) में न शौचालय है, न रसोई, न फर्श, यहां तक कि पंखा भी नहीं, बिजली कनेक्शन तो दूर की बात है। यह गुना जिले के बमोरी ब्लॉक के सबसे अंदरूनी हिस्सों में से एक है। “ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता… Continue reading आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के काम पर न आने के खतरे

देशी बीजों के संरक्षण के लिए छोड़ी कॉर्पोरेट नौकरी

क्या दालों की इतनी सारी किस्मों को देखना आपके जीवन की दिशा बदलने में भूमिका निभा सकता है? ख़ैर, मेरे साथ ऐसा हुआ। मुझे 2017 में दिल्ली में ‘ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस’ के एक स्टॉल पर राजमा की 45 किस्में देखने को मिली। मैंने दालों की ऐसी विविधता कभी नहीं देखी थी। दुकानों में हमें ज्यादा… Continue reading देशी बीजों के संरक्षण के लिए छोड़ी कॉर्पोरेट नौकरी

स्क्रॉल के माध्यम से कहानी कहने की कला को कायम रखता पटुआ समुदाय

ज्यादा पुरानी बात बात नहीं है, जब अनवर चित्रकार एक दर्जी हुआ करते थे। पिछले साल उन्होंने दुबई में एक पेंटिंग 4 लाख रुपये में बेची थी।  चित्रकार, जो पटुआ (स्क्रॉल चित्रकार) वंश से हैं, ऐसे काम चित्रित नहीं करते, जो कला जगत के किसी भी ‘वाद’ में आते हैं, बल्कि ये एक प्राचीन कला… Continue reading स्क्रॉल के माध्यम से कहानी कहने की कला को कायम रखता पटुआ समुदाय