खेल ने असम की दो शत्रु जनजातियों को एकजुट किया

कल्पना कीजिये कि आप एक छोटे से आदिवासी गांव में रहते हैं, जहां रोज सूर्यास्त से पहले आपको घर जाना पड़ता है, क्योंकि आपको अपने ही कुछ पड़ोसियों से डर है। यह असम के चिरांग जिले के एक गांव सिमलागुड़ी की कहानी है, जहाँ बोडो और संथाल जनजातियों के लगभग 100 परिवार हैं। इनमें ज्यादातर… Continue reading खेल ने असम की दो शत्रु जनजातियों को एकजुट किया

अब गंदा पानी लाने के लिए 2 किमी नहीं चलना पड़ेगा

राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के रूपपुरा और गणपत खेड़ा गांवों की आदिवासी महिलाएं दशकों से गंदा, सेहत के लिए ख़राब पानी लाने के लिए रोज दो किलोमीटर पैदल चलती थी। रूपपुरा गांव के रमेश गोस्वामी कहते हैं – “अब हमें पीने का साफ पानी मिलता है और इससे हमारी उम्र 10 साल बढ़ जाएगी।” जिला मुख्यालय… Continue reading अब गंदा पानी लाने के लिए 2 किमी नहीं चलना पड़ेगा

किताबों से परे की सीख – मेरा इंटर्नशिप अनुभव

जब कक्षाएं पूरे जोर से चल रही हैं, पांचवां सेमेस्टर शुरू होने वाला है और सनातक होना सामने दिख रहा है, तो मैं ‘विलेज स्क्वेयर’ और ‘एक्सेस डेवलपमेंट सर्विसेज’ (एक्सेस) के साथ गर्मियों की अपनी इंटर्नशिप के अनुभव के बारे में सोचती हूँ। इंटर्न के रूप में अनुभव अनूठा था, जहां मैंने सशक्त, प्रेरित महसूस… Continue reading किताबों से परे की सीख – मेरा इंटर्नशिप अनुभव

खुबानी हैं? कारगिल की सामिक चटनी बनाओ

ईद की खुशनुमा सुबह, बारहवीं कक्षा की छात्रा ज़रीना बानो को जैसे ही पता चला कि उसके दादाजी आ रहे हैं, वह तेजी से पास के एक बगीचे में गई। उसने जमीन पर गिरी हुई कुछ पकी खुबानी उठाईं। उसने फल के पीले गूदे को गुठलियों से अलग कर दिया। कारगिल जिले के शिल्कचाय गाँव… Continue reading खुबानी हैं? कारगिल की सामिक चटनी बनाओ