सरकारी हस्तक्षेपों को आदिवासी परिवार कैसे देखते हैं?

अनुसूचित जनजातियों के लोग उन इलाकों में निवास करते हैं, जिन्हें परम्परागत रूप से खराब संपर्क और सुविधाओं की कमी से ग्रस्त समझा जाता है। आम तौर पर, यदि उन्हें सामान्य समावेशी नाम “आदिवासी” कहा जाए, तो ये लोग उबड़-खाबड़, पहाड़ी और चट्टानी क्षेत्रों में रहते थे, जिन्हें वन संपदा में समृद्ध माना जाता था… Continue reading सरकारी हस्तक्षेपों को आदिवासी परिवार कैसे देखते हैं?

गर्मियों में कच्ची बस्तियों के घरों में टिकाऊ छतों द्वारा ठंडक

तेज गर्मी के एक दिन, विवेक गिलानी ने देखा कि उनकी नौकर थकी हुई लग रही है और काम पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है। उन्हें समझ आया कि इसका कारण यह था कि वह रात को ठीक से सो नहीं पाई थी। उनका मुंबई की कच्ची बस्ती का घर दिन में इतना… Continue reading गर्मियों में कच्ची बस्तियों के घरों में टिकाऊ छतों द्वारा ठंडक

पिंजरे में मछली-पालन से उसी बांध से मिली ज्यादा मछलियाँ

अभीक सोडी सतीगुड़ा बांध में मछली पकड़ते हैं, जो ओडिशा के मलकानगिरी जिले के उनके गांव के पास है। वह एक दशक से रोहू (Labeo rohita) और कतला (Labeo catla) पकड़ते रहे हैं। लेकिन हर बीतते साल के साथ पकड़ी गई मछलियों की मात्रा कम होती जा रही है। वह कहते हैं – “मैं एक… Continue reading पिंजरे में मछली-पालन से उसी बांध से मिली ज्यादा मछलियाँ

हमारा जल, हमारा प्रबंधन

भारत सरकार के जल जीवन मिशन (जेजेएम) का लक्ष्य है – 2021 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को सुरक्षित एवं पर्याप्त जल उपलब्ध कराना।   भारत में जल प्रबंधन की समुदाय-प्रबंधित स्थानीय व्यवस्थाएं कई सदियों से मौजूद हैं। ये व्यवस्थाएं समुदाय की सिंचाई, पीने और घरेलू पानी की जरूरतों को पूरा करती हैं। गुजरात में अब भी… Continue reading हमारा जल, हमारा प्रबंधन