घूंघट से उसकी दृष्टि धूमिल नहीं होगी

एक गांव में व्यवहारिक रूप से लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण देखना ज्ञानवर्धक है, हालाँकि इससे सम्बंधित महिला ने इन शब्दों के बारे में सुना भी नहीं होगा। एक मजबूत महिला शशि प्रभा तोमर से मिलिए, जिन्होंने लगभग एक दशक पहले मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के अंबाह प्रशासनिक ब्लॉक में स्थानीय चुनाव लड़ा था।… Continue reading घूंघट से उसकी दृष्टि धूमिल नहीं होगी

“समाज को हमें कोई एलियन समझने की बजाए, इंसान के रूप में स्वीकार करना चाहिए”

मेरे पास बचपन की धुंधली सी यादें हैं, जो मैंने उत्तर प्रदेश के एक गांव में बिताया था। स्कूल में मेरे सहपाठी मेरे बात करने और चलने के तरीके को लेकर मुझे परेशान करते थे। जब ताने ज्यादा हो गए, तो मैंने स्कूल जाना बंद कर दिया। उस वक्त मैं सातवीं कक्षा में थी। यानि… Continue reading “समाज को हमें कोई एलियन समझने की बजाए, इंसान के रूप में स्वीकार करना चाहिए”

कश्मीर के फूल कारोबार में उछाल

सूरज के क्षितिज में ऊपर पहुँचने के साथ, सत्तर वर्षीय गुलाम मोहम्मद दोजी दस्ती स्प्रेयर के साथ अपने आंगन में चले जाते हैं। फिर वह सावधानी से एक पौध-समूह को ढकने वाली पॉलिथीन शीट को उठाकर, पानी छिड़कते हैं। वे बेशकीमती जेरेनियम पौधों की पौध हैं, जिन्हें एक होटल से सेवानिवृत्त माली, दोजी एक स्थानीय… Continue reading कश्मीर के फूल कारोबार में उछाल

“हैलो साथी ” हेल्पलाइन पर माहवारी पर बेरोकटोक बातचीत

सुरेखा हामरे अक्सर नदियों और पहाड़ियों से होते हुए, सुदूर आदिवासी बस्तियों तक पहुँचने के लिए, रोज पाँच से आठ किलोमीटर पैदल चलती हैं। वह एक मिशन पर हैं। वह लड़कियों और महिलाओं से माहवारी से जुड़ी उनकी जिज्ञासाओं और चुनौतियों के बारे में बिना शर्म या आंकलन के बात करना चाहती हैं। हामरे कहती… Continue reading “हैलो साथी ” हेल्पलाइन पर माहवारी पर बेरोकटोक बातचीत