“चित्रित गांवों” की खोवर और सोहराई कलाओं का संरक्षण

लिखित इतिहास से पहले की गुफाओं के चित्रों से बेहद मिलते जुलते, जनजातीय भित्ति चित्र लुप्त हो रहे थे। तब कला-संरक्षण के प्रति जुनूनी एक दंपत्ति ने इसे पुनर्जीवित किया, जिससे चित्रकारों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे प्रदर्शित करने में मदद मिली। “अगर ये दीवारें बात कर सकती” – इस अभिव्यक्ति का झारखंड में एक… Continue reading “चित्रित गांवों” की खोवर और सोहराई कलाओं का संरक्षण

स्थानीय छोटे स्तनधारियों का संरक्षण

हम में से ज्यादातर लोग जब चूहे या चुहिया को देखते हैं, तो ज्यादा से ज्यादा हम उसे दूर भगा देते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा संभावना यह है कि हम ज़हर या शायद, एक पिंजरा इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अलग ही डफली बजाने वाले एक संरक्षणवादी, ब्रवीण कुमार ऐसा नहीं करते। भारतीय विज्ञान शिक्षा और… Continue reading स्थानीय छोटे स्तनधारियों का संरक्षण

“मैंने अपने परिवार को पालने के लिए टैक्सी और लॉरी चलाई”

वर्ष 2010 मेरे जीवन का सबसे मुश्किल वर्ष था। मेरे पति स्वास्थ्य कारणों से काम नहीं कर सकते थे। हालात ने मुझे अपने परिवार का कमाऊ सदस्य बनने पर मजबूर कर दिया। जब मैं नौकरी की सख्त तलाश कर रही थी, तो एक करीबी पारिवारिक मित्र, बाबू ने व्यावसायिक दौरे के लिए उनकी कार चलाने… Continue reading “मैंने अपने परिवार को पालने के लिए टैक्सी और लॉरी चलाई”

धागे से लटकता कालबेलिया मणकों का काम

छोटे, चमकीले रंग-बिरंगे मणकों को आपस में बेहतरीन गहनों के रूप में बांधा जाता है। यदि आप सोचते हैं कि केवल महिलाएं ही इन मणकों से बने आभूषण पहनती हैं, तो आप गलत हैं। पुरुष भी अपनी कलाइयों को मणकों से बने कंगन से सुशोभित करते हैं। इन रंग-बिरंगे आभूषणों को बनाने वाली कालबेलिया महिलाएं… Continue reading धागे से लटकता कालबेलिया मणकों का काम