राजस्थान – शिक्षण, पाठ्यपुस्तकों से परे

बहुत अच्छी छात्र से शिक्षिका बनीं, उर्मिला सुथार ने मुझे बताया – “अनुभव के माध्यम से सीखना महत्वपूर्ण है।” शिक्षा संबल (SS) नामक एक शिक्षा सहायता कार्यक्रम की बारीकियों को समझने के लिए किए गए हाल ही के एक दौरे में, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ शहर के पास ‘अजोलिया का खेड़ा’ गाँव की इस 20-वर्षीय शिक्षिका… Continue reading राजस्थान – शिक्षण, पाठ्यपुस्तकों से परे

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कच्ची सड़कों पर ड्राइविंग से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक – केरल की पहली महिला एम्बुलेंस पायलट

पी. जी. दीपमोल बचपन से ही ड्राइवर बनना चाहती थी। 18 साल की उम्र में उन्होंने अपने गृहनगर में दोपहिया वाहन चलाना सीख लिया। जल्द ही वह कार चलाने लगी। उन्हें कमर्शियल टैक्सी चलाने का लाइसेंस मिलने में ज्यादा समय नहीं लगा। और फिर भारी ट्रक चलाने का भी। 2021 में उनकी एक और बड़ी… Continue reading कच्ची सड़कों पर ड्राइविंग से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक – केरल की पहली महिला एम्बुलेंस पायलट

भारत के ‘पृथ्वी दिवस’ नायक

गाड़ी में बैठ कर भारत के ग्रामीण इलाकों से हो कर गुजरना और उसके प्रगति की कमी को “पिछड़ा” कहकर खारिज करना आसान है। लेकिन हम में से बहुत से लोग इस तथ्य को समझ रहे हैं कि टिकाऊपन ग्रामीण भारत के पुराने जमाने की, यहां तक ​​​​कि प्राचीन काल की, कृषि पद्धतियों के केंद्र… Continue reading भारत के ‘पृथ्वी दिवस’ नायक

कहानी पवन चक्कियों और महिलाओं की

गुजरात के कच्छ जिले की रबारी जनजाति के देहाती मालधारी समुदाय की एक महिला, जानकी दहाड़ते हुए कहती हैं – “अगर मैं आपको कहूँ कि अपना घर, पहनने वाले कपड़े, जिस परिवार से आप प्यार करते हैं और जो कुछ भी आपके आस पास है, वह छोड़ दो, क्योंकि मैं आपकी पहचान के ऊपर एक… Continue reading कहानी पवन चक्कियों और महिलाओं की