कभी तस्करी का शिकार हुए युवा, बाल शोषण के विरुद्ध चलाते हैं साइकिल

मोहम्मद शाबाज़ पौ फटे जाग जाते हैं। जब वह अपने बचपन के वर्षों के बारे में सोचते हैं, तो सोते रहने का कोई भी विचार गायब हो जाता है। दूर दिल्ली में बिताए साल, जब उन्हें नन्हे हाथों से बिना रुके घंटों तक कढ़ाई का काम करना पड़ता था। जब तक कि उन्हें बचा नहीं… Continue reading कभी तस्करी का शिकार हुए युवा, बाल शोषण के विरुद्ध चलाते हैं साइकिल

“मेरी वर्षों की सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी”

देशी चावल की किस्मों को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लगभग 10 साल बाद, कुरिचिया आदिवासी किसान चेरुवायल रमन को चिंता है कि उनके जीवन भर का काम व्यर्थ चला जाएगा। रमन को 2013 में ‘पौधों की किस्मों के संरक्षण एवं किसान अधिकार प्राधिकरण’ (PPVFRA) से देशी चावल की किस्मों के संरक्षण… Continue reading “मेरी वर्षों की सारी मेहनत बर्बाद हो जाएगी”

श्रीनगर की झील खुशाल सर फिर से हुई जीवंत

लोगों के एक समूह ने श्रीनगर की खुशाल सर झील में अपनी नावों से भरे हुए बैग उतारे, तो सफ़ेद दाढ़ी वाले एक वृद्ध व्यक्ति ने उनकी पीठ थपथपाई।  मछली से भरे बैग? नहीं। बैग प्लास्टिक की बोतलों, किराना सामान में इस्तेमाल पॉलीथिन बैग और झील से निकाले गए दूसरे कचरे से भरे हुए थे।… Continue reading श्रीनगर की झील खुशाल सर फिर से हुई जीवंत

“सोशल मीडिया सक्रियता ने मेरे जीवन को अर्थ दिया है”

मैं एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ। मेरे पिता एक सीमांत किसान हैं और मेरी माँ एक आंगनवाड़ी (सरकारी शिशु देखभाल केंद्र) कार्यकर्ता हैं। मैंने अपने गांव में देखा कि कैसे हाशिए पर रहने वाले लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। उनके रोज़मर्रा के संघर्षों को देखते हुए, मैं बचपन… Continue reading “सोशल मीडिया सक्रियता ने मेरे जीवन को अर्थ दिया है”