पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी बाधाओं में से एक उनके पशुओं के चारे की लागत है। अजोला – फर्न समूह का एक जल-पौधा। कुछ लोग इसे कष्टदायक जल खरपतवार मानते हैं, लेकिन यह पशुओं के लिए नया सुपरफूड बन रहा है। ‘मच्छर फर्न’ से ‘काई-परी’ से लेकर ‘जल-मखमल’ तक, रंग-बिरंगे नामों से पुकारा जाने वाला,… Continue reading “जल खरपतवार” अजोला बनी पशुओं की सुपरफूड
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आदिवासी भाषाओं के लिए 21वीं सदी की चुनौतियां
हर समाज समुदाय की अपनी भाषा होती है जो उस समाज की सभ्यता और संस्कृति को दर्शाता है। वैसे ही भारत में भी सभी आदिवासी समुदायों के अपने विशिष्ट भाषा है, जो उसके संस्कृति, परंपरा और सभ्यताओं को दिखाती है। भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से 22 को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में… Continue reading आदिवासी भाषाओं के लिए 21वीं सदी की चुनौतियां
बिदियों से जन्मी – टिकुली कला
टिकुली। स्थानीय भाषा का एक शब्द, जो दिमाग में एक भव्य लाल रंग की बिंदी की छवि लाता है, जिसे भारत के ज्यादातर हिस्सों में विवाहित महिलाएं अपने माथे पर लगाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टिकुली कला बिहार की सदियों पुरानी चित्रकला शैली भी है। विभिन्न शासकों के शाही संरक्षण में चमकदार,… Continue reading बिदियों से जन्मी – टिकुली कला
लोगों की समस्याओं को हल करने में मदद करने वाली ओडिशा की “ट्विटर गर्ल”
ओडिशा की ट्विटर गर्ल कौन है? कभी “कलम की शक्ति” हुआ करती थी, जिससे काम हो जाते थे – अब यह एक ट्वीट है। लेकिन ओडिशा की एक युवा, निस्वार्थ महिला इस शक्तिशाली औजार का इस्तेमाल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज में हाशिये पर रहने वालों की मदद करने के लिए कर रही है। ओडिशा… Continue reading लोगों की समस्याओं को हल करने में मदद करने वाली ओडिशा की “ट्विटर गर्ल”