देशी बीजों के प्रसार से लाभ

लगातार दो साल फसल खराब होने के बाद, मंगलु साहू दो एकड़ से 44 क्विंटल धान की फसल लेकर खुश हैं।  ओडिशा के बारगढ़ जिले के यह सीमांत किसान, अपने बचाव के लिए स्थानीय ‘बीज तारणहार’ सुदाम साहू की तारीफ़ करते हैं। कृतज्ञतापूर्वक मंगलू साहू कहते हैं – “मैं पहले से ही कर्ज में डूबा… Continue reading देशी बीजों के प्रसार से लाभ

भारत में टिकाऊ खेती की संभावनाओं का अभाव

भारत में टिकाऊ कृषि पद्धतियों का भविष्य कैसा दिखता है? चलिए, एक नज़र डालते हैं। यदि हम भारत सरकार के नए कृषि कार्यक्रमों को देखें, तो भारत में टिकाऊ कृषि पद्धतियों का भविष्य उज्ज्वल दिखता है। उदाहरण के लिए, 2021 में, सरकार ने घोषणा की, कि ‘राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन’ (NMSA) कृषि को अधिक उत्पादक,… Continue reading भारत में टिकाऊ खेती की संभावनाओं का अभाव

बंजर भूमि को हरी भरी बनाते – बिहार के ‘अमरूद-गुरू’

कभी दक्षिणी बिहार की ज्यादातर सूखी रहने वाली ‘फाल्गु’ नदी के बीच पड़ा एक बंजर द्वीप अब सुखद रूप से ठंडा है और इसकी हवा में अमरूद की विशिष्ट सुगंध लिए हरा-भरा बाग है। यह परिवर्तन बिहार के अमरूद गुरू, सत्येंद्र गौतम मांझी की कड़ी मेहनत और दृढ़ता की बदौलत है, जो अब बिहार में… Continue reading बंजर भूमि को हरी भरी बनाते – बिहार के ‘अमरूद-गुरू’

“मुझे छोड़ दिए जाने का दर्द पता है”

मेरा बचपन? (हंसते हुए)। मैं कह सकती हूँ कि मेरा बचपन अच्छा था, हालांकि उसमें समस्याएं और संघर्ष थे। लेकिन फिर, जीवन ऐसा ही है। मुझे एक बच्चे के रूप में छोड़ दिया गया था और मैं जालंधर के एक अनाथालय ‘नारी निकेतन’ में पली-बढ़ी थी। मेरी औपचारिक शिक्षा नारी निकेतन स्कूल में हुई और… Continue reading “मुझे छोड़ दिए जाने का दर्द पता है”