एक शिशु के रूप में त्याग दी गई, आज अनाथ लड़कियों का पालन पोषण करती है

हर लड़की अनमोल होती है। बेटी को पढ़ाओ और देश को मजबूत करो। यही वह सिद्धांत था, जिसके साथ भारत सरकार ने 2014 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम शुरू किया था। लेकिन दो दशक पहले, पंजाब की रहने वाली प्रकाश कौर ने ठीक यही करने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया था – त्याग… Continue reading एक शिशु के रूप में त्याग दी गई, आज अनाथ लड़कियों का पालन पोषण करती है

क्या इस्पात कारखाने ढिंकिया की पान की लताओं को लुप्त कर देंगे?

जहां पारादीप का बंदरगाह शहर अपनी बंदरगाह, तेलशोधक और उर्वरक कारखाने के एक-पीस वर्दी पहने श्रमिकों से गुलजार है, वहीं आसपास के ग्रामीण इलाकों में हवा भयानक है। ढिंकिया गाँव की ओर जाने वाली संकरी सड़क पर पुलिस की कई गाड़ियां पंक्तिबद्ध हैं। कोई दिखाई नहीं दे रहा, सिवाय एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के,… Continue reading क्या इस्पात कारखाने ढिंकिया की पान की लताओं को लुप्त कर देंगे?

पेड़ों की अवैध कटाई और शिकार को छोड़कर, असम के दो गांवों ने अपनाया पर्यावरण आधारित पर्यटन

देखिये, कि ग्रामीण असम के नोतून लेइकोल और बोलजांग में, स्थानीय युवाओं की आजीविका में पर्यावरण आधारित पर्यटन ने कैसे योगदान दिया है।  असम का नोतून लेइकोल गांव प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध है, जिसमें हरे भरे पहाड़, चांदी-जैसे झरने, नारंगी बागान और सुन्दर प्राकृतिक परिवेश है। दीमा हसाओ जिले के इस गाँव में लगभग 900… Continue reading पेड़ों की अवैध कटाई और शिकार को छोड़कर, असम के दो गांवों ने अपनाया पर्यावरण आधारित पर्यटन

असम का ग्रामीण रंगमंच: पर्दे उठे या गिरे?

बिपुल दास असम के ग्रामीण कामरूप जिले में स्थित, एक “जात्रा दल” के मालिक और प्रमुख समन्वयक हैं। वह अपना कुछ समय असमिया समाचार पत्रों के लिए एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करने में बिताते हैं, लेकिन उनकी आजीविका जात्रा दल से आती है। वह 17 साल से ज्यादा समय से इस व्यवसाय… Continue reading असम का ग्रामीण रंगमंच: पर्दे उठे या गिरे?