विशेष लेख
पत्तों की प्लेट बनाकर, महिलाएं ला रही हैं आर्थिक और पर्यावरणीय बदलाव
जो पहले ईंधन के रूप में प्रयोग होते थे, उन सुपारी के पत्तों से, भोजन परोसने के लिए उपयुक्त, बायोडिग्रेडेबल वस्तुएं बनाकर, असम में ग्रामीण महिलाएं अपनी घरेलू आय में वृद्धि करते हुए, वायु और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में मदद करती हैं।
अपने मजबूत इरादों के साथ, शीला देवी जुडी हैं, गरीब आदिवासी बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में।
एक अनौपचारिक शिक्षिका, जिसने समाज में अपनी पहचान बनाने और गरीब आदिवासी बच्चों को शिक्षा का बेहतर विकल्प देने की कोशिश की| उनकी इस कोशिश में बाधाएं तो बहुत सारी आई पर इनके मजबूत इरादों के सामने टिक ना पाई। अपनी प्रतिबद्धता के साथ आज शीला देवी अपने गांव के कई बच्चों को पढ़ा रही हैं।
समुद्री संरक्षण के लिए वैज्ञानिक ने, समुद्र तट पर रहने वाले समुदायों को जोड़ा
एक समुद्रीय वैज्ञानिक ने तट के पास रहने वाले समुदायों को, मैंग्रोव और समुद्री घास के वातावरण सम्बन्धी तंत्र के बारे में जागरूकता और उससे अतिरिक्त आय के माध्यम से, संरक्षण के प्रयास में शामिल किया
तिरूपुर में फंसे ‘चकमा’ लोगों में, निराशाजनक संभावनाओं को लेकर चिंता
बुने हुए वस्त्रों के उद्योग के पूरी तरह बंद हो जाने के कारण, चकमा आदिवासी, जो गरीबी से बचने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों से तमिलनाडु चले गए थे, स्वयं को पहले जैसी चुनौतीपूर्ण स्थिति में पा रहे हैं