डेरी किसान महिलाओं ने लॉकडाउन (बंदी) के दौरान सुनिश्चित किया दूध का सुरक्षित वितरण

पुणे, महाराष्ट्र

कोरोना वायरस की दहशत के बीच, सुरक्षा उपाय अपनाकर, डेरी किसान महिलाएं, अपने सदस्य किसानों की आजीविका और आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए, उपभोक्ताओं को दूध की आपूर्ति सुनिश्चित कर रही हैं।

देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान, शहरों और कस्बों में ज्यादातर गतिविधियाँ थम गई हैं। अभूतपूर्व संकट के इस समय, कई सकारात्मक ताकतों के बीच एक शानदार मिसाल डेरी किसान महिलाएं हैं, जिन्होंने हालात के सामने झुकने से इनकार कर दिया है।

पुणे जिले के तालेगाँव के पास मावल गाँव की, मावल डेयरी फार्मर्स सर्विसेज प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड की दमदार महिला किसान, शहरों में हरेक के लिए जरूरी सेवाओं में से एक, दूध की खरीद, प्रोसेसिंग और आपूर्ति जारी रखती हैं।

मावल डेयरी पुणे में न केवल दूध की निर्बाध प्रोसेसिंग और वितरण सुनिश्चित कर रही है, बल्कि इस काम में लगे लोगों के साथ-साथ अपने ग्राहकों की सुरक्षा के लिए भी तत्काल उपाय किए गए हैं।

मावल डेयरी

इस डेयरी के निर्माण में जो प्रयास हुए, वे इस संकट से निपटने में इसकी मदद कर रहे हैं। मावल डेयरी फार्मर्स सर्विसेज प्रोड्यूसर कंपनी की स्थापना, महाराष्ट्र में पुणे जिले के मावल गांव के आसपास के समुदाय की आजीविकाओं को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था।

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों का सख़्ती से पालन करते हुए, महिलाओं के नेतृत्व वाली मावल डेयरी ने लॉकडाउन के दौरान दूध की आपूर्ति सुनिश्चित की (फोटो-कृष्णगोपाल, एएलसी के सौजन्य से)

निर्माण के वर्ष 2016 के दौरान मावल डेरी, डेरी-किसानों के एक संगठन, “डेयरी ए फार्मर्स ग्रुप” (DAFG) का हिस्सा थी। वर्तमान में, एक गैर-सरकारी संगठन, एक्सेस लाइवलीहुड्स कंसल्टिंग इंडिया लिमिटेड (ALC) और टाटा पावर की सीएसआर (CSR) विंग इस डेरी को सहयोग प्रदान करते हैं।

ALC के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, कृष्णगोपाल ने VillageSquare.in को बताया – “शुरुआत में, समूहों को पशुओं के चारे और पशुओं के लिए ऋण सेवाओं के माध्यम से सहयोग प्राप्त हुआ। पशु स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कॉल सेंटर स्थापित किए गए थे।”

महिलाओं के लिए – महिलाओं के द्वारा

क्योंकि पड़ोसी गांवों में बहुत कम दुग्ध-संग्रह केंद्र सक्रिय थे, इसलिए समुदाय को अपनी ही डेयरी की आवश्यकता महसूस हुई। इसका मूल उद्देश्य पशुपालन में लगी महिलाओं को शामिल करना था।

मावल डेयरी महिलाओं के नेतृत्व वाली भारत की दूसरी और महाराष्ट्र की पहली डेयरी है। इसमें 20 से अधिक गांवों के प्रतिनिधित्व के साथ, 1,475 से अधिक शेयरधारक हैं, जिनमें से 630 दूध सप्लाई करते हैं। अनुमति-सम्बन्धी (Compliance) जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण देने और पेशेवर कर्मचारियों को ढूंढने एवं नियुक्त में ALC ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मावल डेरी ने पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़, खोपोली, लोनावाला और आसपास के अन्य स्थानीय बाजारों में अपनी जगह बना ली है। मावल में इसका प्रोसेसिंग-प्लांट है, जिसकी 10,000 लीटर दूध को प्रोसेस करने की क्षमता है। किसानों की आसान और शीघ्र पहुँच प्रदान करने के लिए दो गाँवों के बीच 18 संग्रह केंद्र स्थित हैं।

डेरी से न केवल महिला डेयरी किसानों को अतिरिक्त आय होती है, बल्कि इससे एक टिकाऊ और बढ़ी हुई आय भी सुनिश्चित होती है, क्योंकि जहाँ महिलाओं को स्थानीय विक्रेताओं से दूध के 18 रुपये प्रति लीटर मिलते थे, वहीं मावल डेयरी से उन्हें 32 रुपये प्रति लीटर प्राप्त होते हैं।

लॉकडाउन के दौरान वितरण में व्यवधान

दूध उन बुनियादी जरूरतों में से एक है, जिन्हें केंद्र सरकार ने आवश्यक सेवाओं की सूची में शामिल किया है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने बेशक शहरों को दूध की आपूर्ति के सामान्य चक्र को प्रभावित किया है। लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि देश भर के उन हजारों डेयरी किसानों पर इसका गंभीर असर पड़ा है, जिनके लिए डेरी आजीविका का अभिन्न अंग रही है।

ऑपरेशन-फ्लड के दौरान बने राष्ट्रव्यापी नेटवर्क और देश के सैकड़ों सहकारी एवं निजी क्षेत्र की बदौलत, डेरी से देश के हजारों छोटे, मध्यम और बड़े किसानों को नियमित रूप से नकदी प्राप्त होती है। इस संकट ने इन सबको प्रभावित किया है।

एकत्रित दूध की ढुलाई भी बड़ी चिंता का विषय है| साधारण हालात में, देश के सभी हिस्सों में, अक्सर शाम और रात के समय, दूध के टैंकरों से हजारों लीटर दूध की ढुलाई होती है, जिसकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।

लॉकडाउन के दौरान निर्बाध गतिविधियाँ

शहरों में, वितरण सीमित और समयबद्ध होने के कारण वितरण का नेटवर्क और व्यवस्था प्रभावित हुई है| इसकी मात्रा, समय और सम्बद्ध कर्मचारियों को लेकर, बुनियादी सुविधाओं के लिए भी समस्या हो गई है।

हालाँकि दूध और दूध से बने पदार्थों, जैसे दही और छाछ, को आवश्यक वस्तुओं की श्रेणी में रखा गया है, फिर भी मावल गाँव के आसपास के संग्रह केंद्रों ने दूध इकट्ठा करना बंद कर दिया। लेकिन डेयरी किसानों की नकदी की कमी की समस्या को देखते हुए, महिलाओं के नेतृत्व वाली मावल डेयरी ने, अपने सदस्यों को सहयोग जारी रखने का फैसला किया।

अब सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि डेरी का काम जारी रहे, क्योंकि यह इसके 1,500 सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण है। हालाँकि क्षेत्र की अन्य डेरी अपने उत्पादक-सदस्यों से दूध एकत्रित करना बंद कर चुकी हैं, लेकिन मावल डेरी ने, सभी आवश्यक सावधानियों के साथ, सुरक्षित संग्रह, प्रोसेसिंग और वितरण जारी रखने का साहसिक निर्णय लिया है।

लॉकडाउन का प्रभाव

वर्तमान मजबूरियों के कारण, दूध का मूल्य कम हो गया है। कुछ हद तक मूल्य कम हो गया, लेकिन दूध डालने वाले सदस्यों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से दूध का संग्रह जारी रहा। वास्तव में, दूध के लिए अग्रिम भुगतान किया जाता है।

समुदाय के सदस्यों के साथ अपने हाल ही के संवाद के बारे में बताते हुए कृष्णगोपाल ने बताया – “मौजूदा हालात में, जब दूसरे सभी व्यवसाय अचानक रुक रहे हैं, सदस्य डेरी की बिक्री पर निर्भर हैं, कई सदस्यों ने ऋण भी ले लिया है और किसानों की नकदी का प्रवाह भी बाधित हुआ है।”

स्थापित बाजारों में बिक्री की गुंजाइश कम होने के कारण, डेरी ने स्थानीय स्तर पर थोक बिक्री का विकल्प चुना है। एक सहयोगी एजेंसी के रूप में, ALC स्थानीय विक्रेताओं के साथ डेरी को जोड़ने में सक्रिय रूप से शामिल रही है।

फाइल फोटो, संकट के इस समय में आवश्यक सेवा की आपूर्ति सुनिश्चित करती महिलाओं के नेतृत्व वाली डेरी, महिला डेरी किसानों को लाभ प्रदान करते हुए दिखाता है (फोटो-कृष्णगोपाल, एएलसी के सौजन्य से)

हालाँकि एकत्रित दूध की मात्रा 6,000 से 3,000 लीटर प्रतिदिन रह गई है, फिर भी अग्रिम भुगतान के साथ दूध की थोक बिक्री में बढ़ोत्तरी होने से, नकदी की उपलब्धता में सुधार हुआ है और सुनिश्चित हुआ है कि मार्केटिंग और बिक्री से जुड़ी टीम को अनावश्यक जोखिम का सामना नहीं करना पड़ता।

सुरक्षित खरीद और वितरण

आपदा को ध्यान में रखते हुए, मावल डेयरी ने कर्मचारी और किसान, दोनों के स्तर पर सावधानी बरती है। वे पूरी लगन से, संग्रह की कतार में आपसी दूरी के नियम का पालन कर रहे हैं। संग्रह, प्रोसेसिंग और वितरण से जुड़े सभी लोगों के उपयोग के लिए, सभी केंद्रों को मास्क, दस्ताने और सैनिटाइज़र वितरित किए गए हैं।

लॉकडाउन के दौरान किए जाने वाले काम की योजना के लिए होने वाली बैठकों में, चंद ही लोगों को शामिल किया गया। उन्हें सुरक्षा उपायों का पालन करने के निर्देश दिए गए। उन्हें न केवल अपनी समझ के लिए, बल्कि दूध वितरण के दौरान उपभोक्ताओं की आशंकाओं को दूर करने के लिए भी, बीमारी से जुड़े मूल तथ्यों से अवगत कराया गया।

मावल डेरी की मुख्य महाप्रबंधक, लक्ष्मी भगवानराव म्हात्रे ने VillageSquare.in को बताया – “सचिव और प्लांट में काम करने वाले एवं बिक्री से जुड़े सदस्यों के साथ-साथ, खरीद से जुड़े सदस्यों और दूध का परीक्षण करने वाली महिलाओं सहित पूरे स्टाफ के लिए सुरक्षा की जानकारी हेतु बैठकें आयोजित की गईं। सदस्यों की चिंताओं के निवारण के लिए परामर्श बैठकें भी की गई।”

सकारात्मक दृष्टिकोण

जब लॉकडाउन के दौरान अनौपचारिक क्षेत्र की बहुत सी कंपनियां वेतन कटौती या कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, मावल डेयरी ने सकारात्मक बदलाव किया है, जिसके अंतर्गत सुरक्षित खरीद, वितरण और डेरी के समग्र कामकाज को सुनिश्चित करने वाले स्वयंसेवकों के लिए कठिनाई भत्ते की पेशकश की है।

शेयरधारक सदस्यों के समूह से लिए गए स्वयंसेवक, डेरी की दैनिक गतिविधियों में आमतौर पर शामिल नहीं होते हैं। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से इसमें काम करने वाले कई लोगों की अनिच्छा के कारण, डेरी के कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए शेयरधारक सदस्य आगे आए।

म्हात्रे कहते हैं – “स्वयंसेवक को उनके वेतन का 30% कठिनाई भत्ते के रूप में प्राप्त होता है| इस तरह से रोजगार रोटेशन में जारी रहता है, क्योंकि सुरक्षा उपायों की जरूरत और कार्यान्वयन के कारण, प्रतिदिन काम  करने वाले कर्मचारियों की संख्या को कम करना पड़ा।” 

पलक गोसाई पुणे स्थित विकास अन्वेष फाउंडेशन में एक शोधकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं|