एक शिशु के रूप में त्याग दी गई, आज अनाथ लड़कियों का पालन पोषण करती है

त्याग दिए जाने और एक अनाथालय में पलने का दर्द जानने के बाद, प्रकाश कौर छोड़ दी गई लड़कियों को एक प्यारा घर, देखभाल और एक अच्छी शिक्षा देकर पालती हैं।

हर लड़की अनमोल होती है। बेटी को पढ़ाओ और देश को मजबूत करो।

यही वह सिद्धांत था, जिसके साथ भारत सरकार ने 2014 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम शुरू किया था।

लेकिन दो दशक पहले, पंजाब की रहने वाली प्रकाश कौर ने ठीक यही करने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया था – त्याग दी गई और अनाथ लड़कियों को बचाना और पढ़ाना।

करीब 60 साल पहले, पंजाब के जालंधर शहर के एक सुनसान कोने में एक बच्ची के रूप में छोड़ दिए जाने के बाद, वह खुद एक अनाथालय में पली-बढ़ी थी।

लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपनी दुर्दशा से ऊपर उठकर, जालंधर स्थित बच्चियों के घर, ‘यूनिक होम’ को चलाया, उससे सरकार ने उन्हें किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया।

पंजाब में लड़कों को वरीयता

यह पुरस्कार विशेष महत्व रखता है, क्योंकि पंजाब में भारत का सबसे विषम लिंग-अनुपात है। एक दशक पहले तक पंजाब में लड़कों को वरीयता देने के साथ साथ कन्या भ्रूण-हत्या का प्रचलन था।

बालिकाओं को त्याग दिया जाना जारी है और कौर उन्हें एक घर देती हैं
बालिकाओं को त्याग दिया जाना जारी है और कौर उन्हें एक घर देती हैं (छायाकार – प्रदीप पंडित)

बीते सालों में काफी सुधार हुआ है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में 2015-16 जन्म के समय बालक-बालिका अनुपात 1000:860 था। यह 2019-21 में बढ़कर 1000:904 हो गया है, भले ही यह अभी भी 929 की राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। 

प्रकाश कौर परिवार द्वारा लड़कियों के न चाहने के कारणों के बारे में बताती हैं – “आर्थिक और वैवाहिक मुद्दों के अलावा, मुख्य कारण समाज में शोषण से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और शादी के लिए दहेज के संकट से निपटने में कठिनाइयाँ हैं।”

लोगों की धारणा में बदलाव के बावजूद, बच्चियों को छोड़ दिए जाने का सिलसिला जारी है। और कौर उन्हें एक घर देती है।

कौर सभी लड़कियों के लिए “माँ” हैं

कौर नारी निकेतन ट्रस्ट द्वारा संचालित जालंधर के एक अनाथालय में पली-बढ़ी, जिसे स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व प्रधानमंत्री, आई के गुजराल के माता-पिता, अवतार नारायण गुजराल और पुष्पा गुजराल द्वारा स्थापित किया गया था। इसने विभाजन के बाद, परित्यक्त और विधवा महिलाओं के लिए एक सुरक्षित घर प्रदान किया।

नारी निकेतन में पली-बढ़ी कौर में सेवा के लिए एक झुकाव विकसित हुआ। उनकी जिंदगी में तब नया मोड़ आया, जब उन्हें एक लावारिस लड़की मिली और वह उसे घर ले आई।

उस बच्चे को पालने-पोसने से उनके मन में परित्यक्त बच्चियों को घर देने की इच्छा पैदा हो गई। और इसलिए, भाई घनैया चैरिटेबल ट्रस्ट और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से, ‘यूनिक होम’ का जन्म हुआ।

यूनिक होम की लड़कियां कौर को ‘माँ’ कहती हैं। 90 के दशक की शुरुआत में होम शुरू करने के बाद से, वह 100 से ज्यादा लड़कियों की माँ रही हैं।

शिक्षा महत्वपूर्ण है

कौर ने शुरू से ही ठान लिया था कि वह लड़कियों को पढ़ाएंगी। वह उन्हें हमेशा कॉन्वेंट या निजी स्कूलों और यहां तक ​​कि पेशेवर कॉलेजों में दाखिला दिलाती हैं।

प्रकाश कौरअपने बच्चों की सभी गतिविधियों में शामिल होती हैं
कौर बच्चों की सभी गतिविधियों में शामिल होती हैं (छायाकार – प्रदीप पंडित)

उनका तर्क है – “हम जानते हैं कि निजी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सरकारी स्कूलों के मुकाबले कहीं बेहतर है।”

वह यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करती हैं कि लड़कियां दूसरे छात्रों से किसी तरह भी अलग महसूस न करें।

उनके साथ काम कर चुके वॉलंटियर्स ने भी कहा कि वह हर बच्चे का बहुत अच्छी तरह ख्याल रखती हैं।

कौर कहती हैं – “खुद एक अनाथ होने के नाते, मैं जानती हूं कि ऐसे बच्चे किस दर्द से गुजरते हैं और उनकी जरूरतें क्या हैं।”

जालंधर की एक वरिष्ठ पत्रकार, अंजू अग्निहोत्री कहती हैं – “वह बच्चों के कल्याण के लिए दिन-रात व्यस्त रहती हैं। उनके कपड़े पहनने से लेकर पढ़ाई तक, वह उनकी सभी गतिविधियों में शामिल रहती हैं।”

वह अक्सर उन्हें विभिन्न पर्यटन स्थलों पर ले जाती है, जिसमें हिल स्टेशन और शॉपिंग मॉल शामिल हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लड़कियां जीवन से चूक न जाएं।

“मैं बस उन्हें बेहतरीन देखभाल और शिक्षा देना चाहती हूँ, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ये परित्यक्त लड़कियां समाज में एक सार्थक जीवन जीएं।”

यूनिक होम की एक अनूठी परम्परा

कौर ने अनाथालय में एक विशेष नामकरण परम्परा लागू की है, जिससे देखभाल और प्रेम का एक चक्र सुनिश्चित होता है।

वह मुस्कुराते हुए कहती हैं – “बड़ी लड़कियां यहां लाई गई बच्चियों के नाम चुनती हैं – हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या सिख। और मुझे उनका ऐसा करना पसंद है।”

यूनिक होम की एक और दिलचस्प और अनोखी परम्परा यह है कि सभी लड़कियां 24 अप्रैल को अपना “जन्मदिन” मनाती हैं।

कौर याद करती हैं – “यह एक बुजुर्ग व्यक्ति राम गरीब दास के सम्मान में है। एक दुर्घटना में उनके पैर चले गए थे, लेकिन फिर भी वह हर दिन आकर काम करते थे। यहाँ तक कि वह अपनी कमाई भी हमें दान कर देते थे। हम अपनी सभी लड़कियों का जन्मदिन 24 अप्रैल को मनाते हैं, क्योंकि यह उनका जन्मदिन है। इस तरह हम उनका सम्मान करते हैं।”

काम और पहचान

कौर के पास आने के समय ज्यादातर बच्चियां कुछ ही दिन की थीं।

कौर गर्व से कहती हैं – “तीस लड़कियों की शादी हो चुकी है और उनका जीवन सुचारु है। उनमें से कई के पास अच्छी नौकरी है।”

लड़कियों की परवरिश में कौर के समर्पण के बारे में दुनिया भर के पंजाबी प्रवासी भी जानते हैं। कनाडा के मंत्री, हरजीत सिंह सज्जन और बड़ी उद्योगपति, नीता अंबानी भी होम का दौरा कर चुके हैं।

परित्यक्त लड़कियों की परवरिश में समर्पित सेवा के लिए, प्रकाश कौर को पद्म श्री से सम्मानित किया गया
परित्यक्त लड़कियों की परवरिश में समर्पित सेवा के लिए, कौर को पद्म श्री से सम्मानित किया गया (छायाकार – प्रदीप पंडित)

प्रवासी भारतीयों के योगदान से होम चलाने में मदद मिली है, जिसमें इस समय 70 लड़कियां रहती हैं। तीन साल पहले, होम जालंधर से शहर के बाहरी इलाके में एक बड़े परिसर में ले जाया गया।

उनके दोस्त और शुभचिंतक उनके काम की बहुत सराहना करते हैं और मानते हैं कि वह पद्म श्री की हकदार हैं।

नारी निकेतन की एक ट्रस्टी, गुरजोत कौर कहती हैं – “उनकी सेवाएं वास्तव में सराहनीय हैं, क्योंकि परित्यक्त बच्चों, खासतौर से लड़कियों की परवरिश करना असल में बहुत मुश्किल है। उनके लिए वे परिवार हैं।”

विनम्र कौर का कहना था कि यह पुरस्कार उन्हें समाज की और ज्यादा सेवा करने के लिए प्रेरित करता है।

दुःख के साथ वह कहती हैं – “मैं सिर्फ यही चाहती हूं कि कोई भी माता-पिता अपनी बेटी को कभी न त्यागे या उसे मरने के लिए कूड़े के ढेर में न छोड़े।”

यदि कोई किसी समस्या के कारण लड़की की परवरिश करने में असमर्थ है, तो कौर वादा करती हैं कि यूनिक होम उसकी अच्छी परवरिश करेगा।

शुरू में कौर अपने बच्चों को गोद देने के लिए उत्सुक नहीं थी, क्योंकि वह हर बच्ची को अपनी बेटी मानती थी। लेकिन अब गोद लेने का काम सरकारी एजेंसियों के मार्गदर्शन में किया जाता है।

 “मैं हाथ जोड़कर लोगों से प्रार्थना करती हूँ – कृपया बच्चे को कुत्तों द्वारा मारे जाने के लिए फेंकिए मत।”

राजेश मौदगिल चंडीगढ़ स्थित पत्रकार हैं।

नोट: गंभीर परिस्थितियों में, कौर लोगों से अनुरोध करती हैं कि वे उन्हें या यूनिक होम को 88472 90229/98721 20664 पर कॉल करें।