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“मुझे छोड़ दिए जाने का दर्द पता है”

एक बच्चे के रूप में छोड़ दिए जाने और एक अनाथालय में पली-बढ़ी, प्रकाश कौर अब ‘यूनिक होम’ चलाती हैं, जहां वह 70 परित्यक्त लड़कियों की मां हैं। उन्हें उनके काम के लिए पद्म श्री अवार्ड मिला। पेश है उनकी कहानी, उन्हीं के शब्दों में।

मेरा बचपन? (हंसते हुए)।

मैं कह सकती हूँ कि मेरा बचपन अच्छा था, हालांकि उसमें समस्याएं और संघर्ष थे। लेकिन फिर, जीवन ऐसा ही है।

मुझे एक बच्चे के रूप में छोड़ दिया गया था और मैं जालंधर के एक अनाथालय ‘नारी निकेतन’ में पली-बढ़ी थी।

मेरी औपचारिक शिक्षा नारी निकेतन स्कूल में हुई और एक प्राइवेट छात्र के रूप में मैंने स्नातक किया। लेकिन मैं यह नहीं कह सकती कि मैंने किताबों से ज्यादा कुछ सीखा है!

मैं सिर्फ अपने महान संतों और ज्ञानियों की शिक्षाओं को सीखना चाहती थी। मैंने बचपन से ही, अन्य संतों के अलावा, भाई घनैया और सिख गुरुओं के दयालु कार्यों के बारे में जाना था।

स्वाभाविक रूप से, मेरा झुकाव भगवान के सभी प्राणियों की सेवा करने की ओर हो गया।

मुझे छोड़ दिए जाने का दर्द पता है।

इसलिए जिस दिन मुझे एक परित्यक्त बच्ची मिली और मैं उसे घर लाई, उस दिन मेरी जिंदगी बदल गई।

जैसे ही मैंने उसे बोतल से दूध पिलाया और उसकी देखभाल की, मुझे पता था कि मुझे जीवन में क्या करना है। मैं परित्यक्त लड़कियों को एक प्यारा घर देना चाहती थी।

इस तरह ‘यूनिक होम’ अस्तित्व में आया।

मैं लड़कियों को सबसे अच्छी देखभाल और शिक्षा देना चाहती थी, ताकि वे बड़ी होकर समाज में एक सार्थक जीवन जी सकें। मैं भाई घनैया से बहुत प्रेरित थी। आप जानते हैं, उन्होंने घायल दुश्मन सैनिकों को भी पानी पिलाया था!

इसलिए हममें से कुछ लोगों ने मिलकर जिस ट्रस्ट की शुरुआत की, उसका नामकारण उन्हीं के नाम पर किया। यह ट्रस्ट यूनिक होम चलाता है।

मैं हमेशा सभी से “कुख ते रुख” (गर्भ और पेड़) को बचाने की अपील करती हूँ।

मेरी बच्चियों को चलना और बात करना सीखते हुए देखना खुशी की बात है।

जब भी हम एक नई बच्ची घर लाते हैं, तो बड़ी उम्र की लड़कियों द्वारा उसका नाम चुनना दिलचस्प होता है।

मुझे संतुष्टि तब होती है, जब लड़कियां अपनी पढ़ाई में बहुत अच्छा करती हैं।

मुझे खुशी है कि बड़ी लड़कियां अच्छी तरह से बस गई हैं और उनमें से कुछ को अच्छी नौकरी मिली है।

मेरी कुछ लड़कियों का कहना कि वे अविवाहित रहेंगी और मेरे काम में मदद करेंगी, मेरे दिल को छू जाता है। लेकिन मैं जोर देकर कहती हूँ कि उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है।

पद्म श्री अवार्ड मुझे समाज के लिए और ज्यादा सेवा करने के लिए प्रेरित करता है। आप मेरा विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन मैं सचमुच बीमार पड़ गई, जब लोगों ने मुझे बताया कि मुझे अवार्ड मिल रहा है।

उस दिन तक, मैं पर्दे के पीछे काम कर रही थी और मैंने ऐसे सम्मान की कल्पना भी नहीं की थी।

अवार्ड ने मेरी जिम्मेदारी बढ़ा दी है। मैं भगवान की आभारी हूँ – यह सब उनकी कृपा है।

लेकिन मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि लोग कन्या भ्रूण हत्या बंद करें।

कृपया बच्ची को कुत्तों द्वारा मारे जाने के लिए कूड़ेदान में न फेंके।

यदि आप उसे नहीं पाल सकते हैं, तो मैं पालूंगी।

चंडीगढ़ स्थित पत्रकार, राजेश मौदगिल की रिपोर्ट। छायाकार – बलवंत सिंह और प्रदीप पंडित।

नोट: गंभीर परिस्थितियों में, कौर लोगों से अनुरोध करती हैं कि वे उन्हें या यूनिक होम को 88472 90229/98721 20664 पर कॉल करें।