मुझे छोड़ दिए जाने का दर्द पता है।
इसलिए जिस दिन मुझे एक परित्यक्त बच्ची मिली और मैं उसे घर लाई, उस दिन मेरी जिंदगी बदल गई।
जैसे ही मैंने उसे बोतल से दूध पिलाया और उसकी देखभाल की, मुझे पता था कि मुझे जीवन में क्या करना है। मैं परित्यक्त लड़कियों को एक प्यारा घर देना चाहती थी।
इस तरह ‘यूनिक होम’ अस्तित्व में आया।
मैं लड़कियों को सबसे अच्छी देखभाल और शिक्षा देना चाहती थी, ताकि वे बड़ी होकर समाज में एक सार्थक जीवन जी सकें। मैं भाई घनैया से बहुत प्रेरित थी। आप जानते हैं, उन्होंने घायल दुश्मन सैनिकों को भी पानी पिलाया था!
इसलिए हममें से कुछ लोगों ने मिलकर जिस ट्रस्ट की शुरुआत की, उसका नामकारण उन्हीं के नाम पर किया। यह ट्रस्ट यूनिक होम चलाता है।