लोगों की समस्याओं को हल करने में मदद करने वाली ओडिशा की “ट्विटर गर्ल”

इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विलेज स्क्वेयर सोशल मीडिया एक्टिविस्ट, चारुबाला उर्फ दीपा बारिक के बारे में चर्चा करती है। ट्वीट करके और संबंधित अधिकारियों को उसके साथ टैग करके, वह लोगों की शिकायतों के समाधान में मदद करती हैं।

ओडिशा की ट्विटर गर्ल कौन है?

कभी “कलम की शक्ति” हुआ करती थी, जिससे काम हो जाते थे – अब यह एक ट्वीट है।

लेकिन ओडिशा की एक युवा, निस्वार्थ महिला इस शक्तिशाली औजार का इस्तेमाल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज में हाशिये पर रहने वालों की मदद करने के लिए कर रही है।

ओडिशा की प्यार से “ट्विटर गर्ल” के नाम से पुकारी जाने वाली, 25 वर्षीय चारुबाला बारिक अन्य लोगों की समस्याओं के बारे में ट्वीट करती हैं।

वृद्धावस्था पेंशन में अनियमितता से लेकर, सरकार की आवास योजना की पात्रता तक, उनके ट्वीट्स पर ध्यान दिया जाता है और समस्याओं का समाधान होता है।

कैसे एक ओड़िया महिला ट्वीट्स से अंतर को पाट रही है

बरगढ़ जिले के खुरसापाली गांव की उमा बरीहा, जब बारिक के साथ अपने अनुभव के बारे में बताते हुए भावुक हो जाती हैं।

उनके पति की 2021 में ब्रेन स्ट्रोक के कारण मृत्यु हो गई थी। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पांच छोटे बच्चों को कैसे खिलाऊंगी। गांव के एक व्यक्ति की बात मानकर उसने बारिक को फोन किया। बरीहा ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “वह अगले ही दिन हमारे गाँव आई। उसने मेरी समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुना और मदद करने का वायदा किया।”

जब भी संभव होता है दीपा बारिक गांवों में आती हैं और ग्रामवासियों से मिलने के बाद समस्याओं के बारे में ट्वीट करती हैं (छायाकार - शारदा लहंगीर)
जब भी संभव होता है दीपा बारिक गांवों में आती हैं और ग्रामवासियों से मिलने के बाद समस्याओं के बारे में ट्वीट करती हैं (छायाकार – शारदा लहंगीर)

बारिक ने अपने ‘हैंडल’ से संबंधित सरकारी विभाग और अधिकारीयों को टैग करके उमा बरीहा की स्थिति के बारे में ट्वीट किया।

बरीहा कहती हैं – “एक हफ्ते के भीतर एक सरकारी अधिकारी आया। उसने कहा कि ‘आशीर्वाद योजना’ (एक कल्याणकारी योजना) के अंतर्गत मेरे बच्चों को प्रति माह 1,500 रुपये मिलेंगे। यह एक बड़ी राहत थी। मैं कम से कम अब अपने बच्चों को खिला सकती हूँ। यदि दीपा ने मेरी मदद नहीं की होती, तो मेरा जीवन दयनीय हो जाता।”

बारिक की सोशल मीडिया सक्रियता के प्रभाव का यह एक उदाहरण है। अपने ट्वीट के माध्यम से उन्होंने अब तक लगभग 3,000 शिकायतों के निदान में मदद की है।

लेकिन ‘ओडिशा की ट्विटर गर्ल’ के लिए यह सब शुरू कैसे हुआ?

सेवा करने की इच्छा

चारुबाला, जिसे दीपा के नाम से भी पुकारते हैं, ओडिशा के बरगढ़ जिले के एक गुमनाम से गाँव, टेमरी की रहने वाली हैं।

उनकी मजदूर वर्ग की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके गाँव के लोगों के संघर्षों ने, उन्हें ग्रामीण समस्याओं के प्रति पूरी तरह जागरूक कर दिया था।

उन्होंने विलेज स्क्वेयर को बताया – “बचपन से ही मुझमें लोगों की सेवा करने की इच्छा थी।”

लेकिन यह एक स्मार्ट फोन था, जिसने उन्हें सोशल मीडिया एक्टिविस्ट बना दिया।

वह कहती हैं – “2019 में मेरे माता-पिता ने मुझे एक फोन गिफ्ट किया था। तब मैंने सीखा कि मैं अपने मोबाइल फोन और ट्विटर का सर्वोत्तम उपयोग कैसे कर सकती हूँ।”

लोगों के अनुकूल शासन-संरचना

चक्रवात फानी के बाद, 2019 से शुरू करके, बारिक लोगों की शिकायतों के बारे में ट्वीट करती रही हैं। और राज्य सरकार के शासन के 5T मॉडल ने, समस्याओं को हल करने में मदद की है।

ओडिशा की ट्विटर गर्ल कुछ ग्रामीणों के साथ, जिनकी समस्याओं को उन्होंने अपने ट्वीट में अधिकारियों को टैग करके हल करने में मदद की (छायाकार - शारदा लहंगीर)
ओडिशा की ट्विटर गर्ल कुछ ग्रामीणों के साथ, जिनकी समस्याओं को उन्होंने अपने ट्वीट में अधिकारियों को टैग करके हल करने में मदद की (छायाकार – शारदा लहंगीर)

5T मॉडल परिवर्तन लाने के लिए पारदर्शिता, टीम वर्क, टेक्नोलॉजी और समयबद्धता का वादा करता है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री, नवीन पटनायक ने प्रत्येक विभाग में शासन सुधार के लिए 5T मॉडल अपनाया है।  

‘मो सरकार’ यानि मेरी सरकार, 5T से जुड़ी एक और पहल है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी दफ्तर में आने वाले प्रत्येक आवेदक के फोन नंबर, राज्य की नेतृत्व टीम के पास पहुंचता है। इस टीम में मुख्यमंत्री, सभी मंत्री, वरिष्ठ अफसर और सभी विभागों के शीर्ष अधिकारी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री या उनका दफ्तर रोज किन्हीं भी 10 नंबरों पर कॉल करते हैं और आवेदकों से सरकार की सेवाओं की गुणवत्ता पर प्रतिक्रिया लेते हैं।

बारिक वंचित वर्ग के लोगों की मदद के लिए ‘मो सरकार’ योजना का इस्तेमाल करती है, जिन्हें सरकार की सहायता की सख्त जरूरत होती है।

सोशल मीडिया सक्रियता: सही पड़ताल के बाद ट्वीट करना

लेकिन बारिक जरूरतमंद लोगों द्वारा मदद के लिए उन्हें संपर्क करने का इंतजार नहीं करती। वह उन लोगों की तलाश करती हैं, जिन्हें इसकी जरूरत होती है।

हर सुबह वह प्रमुख स्थानीय और अंग्रेजी दैनिक समाचारपत्रों को खंगालती हैं और उन मुद्दों की पहचान करती हैं, जिन पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। समाचार के फोटो के साथ, वह सम्बंधित अधिकारियों को टैग करते हुए मुद्दे के बारे में ट्वीट करती हैं और उनसे समस्या पर ध्यान देने अनुरोध करती हैं।

यदि समाचारपत्र में कोई तस्वीर नहीं होती, तो वह रिपोर्टर या स्थानीय जनप्रतिनिधि या अपने स्वयं के संपर्कों के माध्यम से तस्वीरें ढूंढती हैं।

जब कोई शिकायत आस-पास के इलाके से होती है, तो वह जा कर जरूरतमंद लोगों से मिलती हैं। यदि नहीं, तो वह शिकायत करने वाले व्यक्ति को फोटो, वीडियो या ऑडियो भेजने के लिए कहती हैं।

वह तथ्यों की पूरी जाँच करके और शिकायतों के सही होने को सुनिश्चित करने के बाद ही ट्वीट करती हैं।

बारिक कहती हैं – “व्यवस्था तेज और पारदर्शी है। जब आप ट्वीट करते हैं, तो विभाग को 5T दिशानिर्देशों के अनुसार, 24 घंटे के भीतर कार्रवाई करनी होती है।”

लोगों को अपनी सरकार की योजनाओं और प्रावधानों की जानकारी नहीं है। इसलिए मैं सिर्फ उस खाई को पाटने की कोशिश करती हूँ।”

ट्विटर के माध्यम से लोगों के लिए हस्तक्षेप की मांग

वर्षा कंडी मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला हैं। विकलांग के रूप में प्रमाणित होने के बावजूद, उसकी विधवा माँ उसके लिए विकलांगता पेंशन पाने के लिए दर-दर भटक रही थी।

दीपा बारिक के ट्वीट्स की बदौलत, विधवा हिमाद्री कंडी को उनकी बेटी वर्षा के लिए विकलांगता पेंशन प्राप्त हुई (फोटो - दीपा बारिक के सौजन्य से)
दीपा बारिक के ट्वीट्स की बदौलत, विधवा हिमाद्री कंडी को उनकी बेटी वर्षा के लिए विकलांगता पेंशन प्राप्त हुई (फोटो – दीपा बारिक के सौजन्य से)

जब बारिक को कंडी के बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने संपर्क से उनकी तस्वीर खींचकर भेजने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने संबंधित अधिकारियों को टैग करके, कंडी की दुर्दशा के बारे में ट्वीट किया।

एक सप्ताह के अंदर अधिकारियों ने कार्रवाई की।

माँ, हिमाद्रि कंडी कहती हैं – “मुझे पता चला कि एक लड़की ने हमारी मदद की थी। मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानती। इसलिए मैं बस भगवान से उसे आशीर्वाद देने की प्रार्थना करती हूँ।”

सामुदायिक मुद्दों पर ट्वीट 

बरगढ़ जिले के बिलासपुर गांव में, चेक डैम के कपाट जर्जर अवस्था में थे। पानी नहीं रुक पाने के कारण, किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई करने में परेशानी होती थी।

स्थानीय अधिकारियों को ग्रामीणों की शिकायतों का कोई नतीजा नहीं निकल रहा था।

एक ग्रामीण, चूड़ामणि पाणिग्रही कहते हैं – “इसलिए हमने दीपा के साथ टूटे हुए कपाटों की तस्वीरें साझा कीं और उन्हें समस्या के बारे में बताया। जल्द ही अधिकारियों ने बांध का दौरा किया और एक महीने के भीतर नए कपाट लगा दिए गए।”

बेजुबानों के बचाव के लिए ट्विटर गर्ल

लक्ष्मण लोहार, उनकी पत्नी और 20 के करीब मजदूर, एक ईंट भट्ठे में काम करने के लिए तेलंगाना चले गए थे। लेकिन ईंट भट्ठा मालिक ने उनका शोषण किया, उन्हें बिना भोजन के काम करने के लिए मजबूर किया और उन्हें बुरी तरह पीटा भी। लक्ष्मण लोहार का हाथ तब काटना पड़ा, जब उन्होंने गालियाँ सहन न कर पाने के कारण, आत्महत्या की कोशिश की।

दीपा बारिक के ट्वीट्स ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ दिख रहे, लक्ष्मण लोहार और संकट में फंसे दूसरे प्रवासियों को ओडिशा लौटने में मदद की (छायाकार - शारदा लहंगीर)
दीपा बारिक के ट्वीट्स ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ दिख रहे, लक्ष्मण लोहार और संकट में फंसे दूसरे प्रवासियों को ओडिशा लौटने में मदद की (छायाकार – शारदा लहंगीर)

घर लौटने को बेताब मजदूरों ने बारिक से संपर्क किया। एक ट्वीट और कुछ तालमेल के बाद, सभी प्रवासी ओडिशा लौट आए।

महामारी के शुरू से, ओडिशा की ट्विटर गर्ल ने 1,000 से ज्यादा संकटग्रस्त प्रवासी मजदूरों को तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से ओडिशा लौटने में मदद की है।

लेकिन ओडिशा की ट्विटर गर्ल अपनी शान पर बैठ कर आराम नहीं कर रही है। वह कहती हैं कि वह बदलाव के लिए ट्वीट करती रहेंगी और उन लोगों की मदद करती रहेंगी, जिन्हें उनकी जरूरत है।

शारदा लहंगीर भुवनेश्वर स्थित पत्रकार हैं, और विकास, टकराव (संघर्ष), जेंडर, स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दों पर लिखती हैं।