Her life logo

“माहवारी के बारे में बात करने में शर्माती हैं महिलाएं”

कभी मासिक धर्म (माहवारी) से जुड़े भ्रम दूर करने के लिए एक राजदूत के रूप में मनोनीत एक इंजीनियर, रिया पाटिल चन्द्रे को इतना जुनून सवार हुआ कि अब बेहतर स्वास्थ्य और स्वछता सुनिश्चित करने के लिए, वह बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड बनाती हैं।

उत्तरी गोवा

मेरा पक्का विश्वास है कि कड़ी मेहनत, धैर्य और दृढ़ता के साथ जुनून से काम करके ही सफलता प्राप्त की जा सकती है।

इसी तरह मैंने गोवा के पोरवोरिम में बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड के उत्पादन शुरू किया, जो न सिर्फ महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छे हैं।

मेरा जन्म महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था।

स्कूल में, मैं एक हरफ़नमौला थी, पढ़ाई और गैर-पाठ्यक्रम गतिविधियों में बेहतरीन। चाहे बैडमिंटन हो या कबड्डी, या सांस्कृतिक कार्यक्रम, मैं बहुत उत्साह से भाग लेती थी।

हमेशा कामयाब, मैं एक डॉक्टर बनना चाहती थी।

लेकिन अपने परिवार की रूढ़िवादी मानसिकता के चलते, मैं डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा नहीं कर सकी।

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री पूरी करते ही मेरी शादी हो गई।

मेरी शादी मुझे गोवा ले आई। फिर मैं और मेरे पति मुंबई चले गए। जब मैं तीन महीने की गर्भवती थी, तो मैंने पुणे विश्वविद्यालय में कंप्यूटर प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिग्री के लिए दाखिला ले लिया।

मेरी और पढ़ाई से मेरे पिता नाराज़ थे। वो भी शादीशुदा और गर्भवती होने के बावजूद, नई जगह अकेले रहकर। 

लेकिन मेरा इरादा पक्का था। और मेरा पहला बच्चा पैदा होने पर वह मेरे पास आए।

जल्द ही मुझे एक नौकरी मिल गई, जिसमें पूरे भारत में यात्रा करना शामिल था।

2011 में मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी और सलाहकार बन गई। तब तक हम वापस गोवा भी आ गए थे।

ग्रामीण महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने और उनके माहवारी सम्बन्धी स्वास्थ्य के सुधार के उद्देश्य से, मैं कई वर्षों से उनके साथ काम कर रही थी।

जब 2018 में, मेनका गांधी ने मुझे ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के एक अंग, ‘निर्मल रक्षा अभियान’ की एक राजदूत के रूप में नामित किया, तो यह गर्व का क्षण था।

एक राजदूत के रूप में, मुझे माहवारी-स्वच्छता और सैनिटरी पैड के स्वच्छ निपटान को सुनिश्चित करना था।

मैं युवा लड़कियों को समझाना और मिथकों को दूर करना चाहती थी, इसलिए मैंने जागरूकता सत्र आयोजित करना शुरू किया। कभी-कभी मुझे पुरुषों को चले जाने के लिए कहना पड़ता था, ताकि महिलाओं को माहवारी और पैड्स के बारे में बात करना अजीब न लगे।

माहवारी के बारे में बात करने में उन्हें बहुत शर्म आती थी। यह वर्जित विषय है।

लगभग उसी समय मुझे बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड के बारे में भी पता चला। यह सिर्फ कागजों पर पाई जाने वाली एक अवधारणा मात्र होती थी।

इसलिए 2018 में मैंने खुद कुछ बनाने का निश्चय किया। मैं बायोडिग्रेडेबल पैड बनाना, स्थानीय महिलाओं को रोजगार देना, उन्हें सशक्त बनाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार करना चाहती थी।

मेरा परिवार सहयोग कर रहा था। लेकिन मुझे अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए जरूरी लाइसेंस, प्रमाण पत्र और ऋण प्राप्त करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पुरुष मेरी क्षमताओं पर शंका कर रहे थे, क्योंकि मैं पुरुषों के क्षेत्र में दाखिल हो रही थी।

लेकिन आखिरकार जुलाई 2020 में, मुझे हरी झंडी मिल गई। छह महीने में ही, मैंने मकई-आधारित बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी पैड, ‘जोसा’ बनाना शुरू कर दिया।

मैं चाहती हूँ कि मेरी फैक्ट्री नवोदित उद्यमियों के लिए एक सीखने का मैदान बने। इसलिए मैं अक्सर छात्रों और युवतियों को आने और देखने के लिए आमंत्रित करती हूँ।

वजन में हल्के होने से लेकर, सोखने के बेहतर गुण को लेकर, ‘जोसा’ के बारे में मुझे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली हैं। और इससे भी महत्वपूर्ण रूप से यह कि इससे चकत्ते नहीं पड़ते। इसलिए मुझे खुशी है कि जोसा बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करता है और पर्यावरण के अनुकूल भी है।

वैसे संस्कृत में जोसा का मतलब ‘महिला’ होता है।

आज गोवा में दो लाख से ज्यादा महिलाएं जोसा का इस्तेमाल करती हैं ।

मुझे यह भी कहना चाहिए कि 2018 में, गोवा में मासिक धर्म की उम्र की महिलाओं की संख्या छह लाख थी। आप हिसाब लगा सकते हैं।

अपनी कंपनी के ‘कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व’ (CSR) के हिस्से के रूप में, मैं सरकारी एवं निजी स्कूलों और गांवों में, लड़कियों को मुफ्त में अपने पैड बांटती हूँ।

माहवारी-स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करना जारी रखने के लिए, मैंने ‘ग्रीन ट्रस्ट गोवा’ की स्थापना की है।

मैं जोसा को दूसरे राज्यों में ले जाने का इरादा रखती हूँ।

और आखिरकार विदेशों में। 

मासिक धर्म के बारे में खुलकर बात करना चाहते हैं? मासिक धर्म स्वास्थ्य संगठन, ‘अनइनहिबिटेड’ की हेल्पलाइन “हैलो साथी” आजमाएं।

यह भी पढ़ें: ग्रामीण असम की पैड महिलाएं जागरूकता बढ़ाने और बेहतर मासिक धर्म स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए, मासिक धर्म स्वच्छता आंदोलन का नेतृत्व करती हैं