Her life logo

“समाज को हमें कोई एलियन समझने की बजाए, इंसान के रूप में स्वीकार करना चाहिए”

वाराणसी में रहने वाली एक ट्रांसजेंडर, अशफ़ा, रोजगार के अवसरों के अभाव और अक्सर अपमान और शोषण पर ले जाने वाले व्यवसायिक सेक्स कार्यों तक सीमित होने के बावजूद, अपने दोस्तों के साथ भरपूर जीवन जीती है।

वाराणसी, उत्तर प्रदेश

मेरे पास बचपन की धुंधली सी यादें हैं, जो मैंने उत्तर प्रदेश के एक गांव में बिताया था।

स्कूल में मेरे सहपाठी मेरे बात करने और चलने के तरीके को लेकर मुझे परेशान करते थे।

जब ताने ज्यादा हो गए, तो मैंने स्कूल जाना बंद कर दिया। उस वक्त मैं सातवीं कक्षा में थी। यानि मैं सिर्फ छठी कक्षा पास हूँ, एक बेकार ट्रांसवुमन।

मेरे स्कूल छोड़ने के कुछ साल बाद, मेरे माता-पिता ने मुझे कहा कि यदि मैं सामान्य लड़के की तरह नहीं रह सकता, तो घर छोड़ दूँ। उनका कहना था कि तीन लड़कों में सबसे बड़ा होने के नाते, मैं सबका भविष्य बर्बाद कर दूंगा।

खैर, मुझे घर छोड़ना पड़ा, क्योंकि मैं एक लड़का नहीं थी और मैं उन्हें यह बात समझा नहीं सकी।

मैं 15 या 16 साल की रही होंगी, जब मैं बनारस (वाराणसी) आ गई।

मैं गंगा नदी के किनारे छोटे-छोटे भोजन स्टॉल पर काम करती थी।

अक्सर पानी में जाने वाली सीढ़ियाँ, रात में मेरा बिस्तर होती थीं।

बनारस आने के बाद मैंने अपने परिवार से कभी संपर्क नहीं किया।

कभी-कभी मैं सोचती कि वे कैसे दिखते हैं। अब दशकों बीत गए हैं। मैं किसी से मिल भी लूं, तो भी उसे पहचान नहीं पाऊंगी।

मुझे सिर्फ इस बात का अफसोस है कि मेरे पास उनकी कोई तस्वीर नहीं है। खासतौर पर मेरी मम्मी की। 

कई बार ऐसा होता है, जब असल में बहुत बुरा वक्त होता है, जब मैं सोचती हूँ कि उसके पास वापस जाऊं, कस कर उसके गले लग जाऊं और बस रोती रहूँ।

लेकिन अगले ही पल मैं इस कठिन दुनिया में जीवित रहने के लिए, मजबूत-नारी की ढाल पहन लेती हूँ।

मैं बनारस में खुशी के मौकों पर, ज्यादातर शादियों और बच्चे के जन्म पर, नाच-गाकर अपना गुजारा करती हूँ। लेकिन मैं सेक्स कार्य के लिए भी जाती हूँ।

गाने और नाचने का काम मैं सिर्फ विशेष अवसरों पर ही कर सकती हूँ। और यह हर दिन नहीं होता है, ठीक है? और इसलिए मुझे सेक्स कार्य का विकल्प अपनाना पड़ता है।

इन दो कामों को छोड़कर, भारत में ट्रांसजेंडरों के लिए रोजगार के ज्यादा अवसर नहीं हैं।

लेकिन ये काम भी बिना समस्याओं के नहीं हैं।

एक बार एक प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी के स्नातकोत्तर के एक छात्र ने मुझे सेक्स कार्य के लिए बुलाया। जब मैं वहां गई, तो इस छात्र के यहां तीन और लड़कों ने मेरा शोषण किया।

मैं शिकायत करने पुलिस के पास गई और उन्होंने मेरा मजाक उड़ाया। जब मैंने उनसे मामले को गंभीरता से लेने के लिए कहा, तो उन्होंने मुझे गालियां दीं और यहां तक कि मुझसे यौन संबंध बनाने के लिए भी कहा।

अब जब कभी भी मैं सेक्स का काम करती हूँ, तो मैं ग्राहक को अपने यहां या किसी होटल में आने के लिए कहती हूँ।

मैं अपने तीन दोस्तों के साथ रहती हूँ। अनुराधा मेरी सबसे अच्छी दोस्त है। ओह, लेकिन मुझे उससे नफरत होती है, जब वह मुझ से पूछे बिना मेरा पर्स और मेकअप का सामान लेती है।

हममें से कोई भी लिंग-परिवर्तन सर्जरी (सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी) का खर्च नहीं उठा सकता है।

ट्रांसजेंडरों के लिए रोजगार के अवसरों की कमी के कारण, जब हमें जीवनयापन के लिए संघर्ष करना पड़ता है, तो हम किसी निजी क्लिनिक में सर्जरी के लिए दो या तीन लाख रुपये कैसे खर्च कर सकते हैं?

हम जैसे लोगों को मुश्किल ही माता-पिता का प्यार मिलता है।

जब हम इसे उन लोगों में खोजने की कोशिश करते हैं, जो हमसे सम्बन्ध बनाते हैं, तो हमें धोखा मिलता है।

समाज को ट्रांसजेंडर के प्रति आशंकाओं को छोड़ देना चाहिए और हमें एलियन्स की तरह नहीं, बल्कि इंसानों के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

पढ़ें: “लिंग परिवर्तन (सेक्स रीअसाइनमेंट) सर्जरी कैसे ज्यादातर ट्रांसजेंडरों की पहुंच से परे है।”

लेख प्रस्तुति जिज्ञासा मिश्रा द्वारा, जो मुख्य रूप से महिलाओं के मुद्दों और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में लिखती हैं।