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“सोशल मीडिया सक्रियता ने मेरे जीवन को अर्थ दिया है”

सामाजिक रूप से जागरूक, चारुबाला उर्फ दीपा बारिक लोगों की समस्याओं के बारे में ट्वीट करती हैं, उन्हें ओडिशा सरकार के ध्यान में लाती हैं। वर्ष 2019 में चक्रवात से तबाह हुए एक दंपत्ति की बर्बादी को देख प्रेरित होने से अब तक, उनके ट्वीट्स ने 3,000 से ज्यादा लोगों की समस्याओं को हल करने में मदद की है। उनके काम के बारे में पढ़ें, उन्हीं के शब्दों में।

सोशल मीडिया सक्रियता

मैं एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ।

मेरे पिता एक सीमांत किसान हैं और मेरी माँ एक आंगनवाड़ी (सरकारी शिशु देखभाल केंद्र) कार्यकर्ता हैं।

मैंने अपने गांव में देखा कि कैसे हाशिए पर रहने वाले लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं।

उनके रोज़मर्रा के संघर्षों को देखते हुए, मैं बचपन से ही उनकी सेवा करना चाहती थी। लेकिन मुझे पता नहीं था कि मदद कैसे करूं।

फिर 2019 में, मेरे माता-पिता ने मेरे 23वें जन्मदिन पर मुझे एक स्मार्टफोन गिफ्ट किया। मेरे एक गुरु, एक प्राथमिक विद्यालय अध्यापक, दिबास कुमार साहू एक सोशल मीडिया पर सक्रिय कार्यकर्ता हैं। उनके काम से मैं बहुत प्रभावित हुई और मुझे लगा कि मैं भी ऐसा ही कर सकती हूँ। उन्होंने मुझे अपने फोन के इस्तेमाल की और सोशल मीडिया सक्रियता के लिए ट्वीट करने संबंधी मूल बातें सिखाईं।

सोशल मीडिया सक्रियता

मैंने सबसे पहला ट्वीट 2019 में किया। चक्रवात फानी ने हमारे क्षेत्र में कहर बरपाया था।

सौकीलाल नामक बुजुर्ग का छप्पर का घर, पूरी तरह से नष्ट हो गया था। उन्हें और उनकी पत्नी को आश्रय खोजने में बहुत मुश्किल हुई।

मुझसे उनकी दुर्दशा सहन नहीं हुई।

इस तरह मेरा पहला ट्वीट उनके बारे में था, जिसमें सरकार से आर्थिक सहायता प्रदान करने का अनुरोध था, ताकि बुजुर्ग दंपत्ति अपने घर की मरम्मत कर सके।

मैंने शीर्ष अधिकारियों को टैग किया। मेरे ट्वीट के दो दिनों के भीतर, एक अधिकारी ने गांव का दौरा किया। और एक हफ्ते के अंदर, सौकीलाल को अपना घर बनाने के लिए 98,000 रुपये मिल गए। मैं बहुत खुश और अभिभूत थी। इसने मेरे आत्मविश्वास और ऊर्जा को बढ़ा दिया और मुझे सोशल मीडिया सक्रियता के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

सोशल मीडिया सक्रियता

कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानने के लिए, मैं टीवी पर समाचार देखती हूँ, ओडिशा सरकार के ट्वीट फॉलो करती हूँ और मंत्रालयों की वेबसाइटों पर जाँच करती हूँ।

यदि कोई योजना स्पष्ट न हो, तो मैं संबंधित अधिकारियों से स्पष्टता प्राप्त करती हूँ।

मैं हर सुबह लगभग दो घंटे समाचारपत्रों को खंगालने में लगाती हूँ, ताकि गंभीर समस्याओं की पहचान हो सके।

बहुत से लोग मुझे तब भी फोन करते हैं, जब उन्हें कुछ सरकारी लाभ नहीं मिल पाता या उनके गाँव में कोई सामूहिक समस्या होती है।

जब मैं कहीं जा नहीं पाती हूँ, तो मैं लोगों से फोन पर बात करती हूँ, उनसे तस्वीरें और वीडियो प्राप्त करती हूँ, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि समस्याएं वास्तविक हैं। मेरे लगभग 80% ट्वीट्स पर तत्काल कार्रवाई होती है। बाकी के लिए, मैं निराश नहीं होती, बल्कि संबंधित अधिकारियों के साथ कार्रवाई के लिए संपर्क रखती हूँ।

सोशल मीडिया सक्रियता

कुछ स्थानीय संगठनों ने पुरस्कार दे कर मेरे काम को मान्यता दी है।

लेकिन जब मेरा ट्वीट किसी ग्रामीण को सरकारी पेंशन दिलाने में मदद करता है या दुखी प्रवासी मजदूरों को घर लौटने में मदद करता है, तो मैं बेहद खुश और संतुष्ट होती हूँ।

मेरे माता-पिता सोशल मीडिया सक्रियता में मेरे काम का समर्थन करते हैं।

मैं एक अध्यापक बनना चाहती हूँ। मैं वनस्पति विज्ञान (बॉटनी) में पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही हूँ। मैं अपनी पढ़ाई को भी समय देती हूँ, क्योंकि मेरा दृढ़ विश्वास है कि जहां चाह है, वहां राह है।

मेरे सोशल मीडिया कार्य के कारण न मुझे कभी किसी तरह की समस्या हुई है, न कभी लगा है कि यह मेरे समय और प्रयास के लायक नहीं था। असल में मेरे काम ने मेरे जीवन को एक अर्थ दिया है। इसलिए मैं अपना यह काम जारी रखूंगी और लोगों की सेवा करती रहूंगी।

उन गंभीर समस्याओं के बारे में यहाँ पढ़ें, जिन्हें दीपा बारिक ने ट्वीट करके हल करने में मदद की।

विकास, टकराव (संघर्ष), जेंडर, स्वास्थ्य और शिक्षा के बारे में लिखने वाली, भुवनेश्वर-स्थित पत्रकार शारदा लहंगीर की रिपोर्ट। छायाकार – शारदा लहंगीर और हिमांशु।