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“मैंने 1,400 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है”

भारत की पहली महिला राफ्टर और जल-बचावकर्ता ने तीस्ता नदी के प्रचंड बहाव से सैकड़ों लोगों को बचाया है। जोखिम और उच्च स्तर के सुरक्षा उपकरणों की कमी के बावजूद, शांति राय समर्पण के साथ काम करती हैं, जिससे युवा लड़कियों को उनके नक्शेकदम पर चलने की प्रेरणा मिलती है।

कालिम्पोंग, पश्चिम बंगाल

मेरा जन्म कलिम्पोंग जिले के नदी किनारे बसे, ‘मांगचू जंगल’ में हुआ था। 

हर सुबह नदी के तेज शोर को सुनते हुए उठना रोमांचक था। (हँसते हुए) उस समय, मेरे जैसे बच्चे को नदी एक गुस्सैल औरत जैसी लगती थी। 

मुझे याद नहीं कि मैंने तीस्ता नदी में तैरना कब सीखा। मुझे लगता है कि तैरने का शौक मेरे स्वाभाव में ही था।

हम गरीब थे। इसलिए जब मेरा पूरा परिवार दिन भर खेतों में कमाने के लिए काम करता था, मैं आसानी से तैरने के लिए निकल सकती थी।

आठ भाई-बहनों में सबसे छोटी होने के कारण, मुझे बहुत लाड़-प्यार मिला। लेकिन जब भी मेरे माता-पिता और भाइयों को मेरे कारनामों का पता चलता, तो मेरी अच्छी पिटाई होती।

बाद में, जब भी मुझे और मेरे दोस्तों को बस से जाते समय राफ्टिंग नाव दिखाई पड़ती, हम बीच रास्ते में ही बस से उतर जाते। हम राफ्ट को छूने भर के लिए, तैर कर उस तक जाते।

मैं सिर्फ 16 साल की थी, जब मैंने रात में पहली बार चप्पू वाली नाव से नदी पार की थी। मेरा परिवार नाराज़ था। लेकिन आखिरकार वे मेरे जुनून को समझ गए।

वर्ष 1999 में, ‘गोरखा हिल काउंसिल’ (एक स्वायत्त जिला परिषद, जिसे अब ‘गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन’ कहा जाता है) द्वारा आयोजित, तैराकी और राफ्टिंग प्रतियोगिता में भाग लिया।

मैं तैराकी में प्रथम और राफ्टिंग में तीसरे स्थान पर रही। राफ्टरों में मैं अकेली लड़की थी।

और मैं आपको बता दूं कि मैंने राफ्टिंग सिर्फ दूसरों को देखकर ही सीखी थी।

मेरे कौशल से प्रभावित होकर, हिल काउंसिल के अधिकारियों ने मुझे तीस्ता में बचाव के लिए ले जाना शुरू किया और फिर मुझे नदी-गाइड के रूप में नियुक्त कर लिया।

मैं वर्षों से पर्यटकों को राफ्टिंग पर ले जा रही हूँ और दुर्घटनाओं में लोगों को बचा रही हूँ।

एक बार अपने चचेरे भाई के अंतिम संस्कार से लौटते समय, हमें पता चला कि एक कार नदी में गिर गई है। मैंने एक रस्सी ली और नदी में कूद पड़ी। मैंने पाँच लोगों को बचाया, जिनमें एक महिला और एक बच्चा शामिल थे।

मैंने 1,400 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है, जिनमें 1,200 लोग 2008 की बिहार बाढ़ के दौरान थे।

एक ऐसे पेशे में, जिसमें सिर्फ पुरुष काम करते हैं, मुझे भारत की पहली महिला राफ्टर और बचाव विशेषज्ञ के रूप में स्थापित धारणाओं को तोड़ने पर गर्व है।

जोखिम के बावजूद, लोगों की मदद करना मुझे खुशी से भर देता है। और मुझे खुशी है कि लड़कियां मेरे नक्शेकदम पर चलना चाहती हैं।

तीस्ता में काम करना खतरनाक है। अक्सर वाहन नदी में गिर जाते हैं और हम जान बचाने के लिए रात में भी दौड़ पड़ते हैं।

उच्च स्तर के बचाव उपकरणों की कमी के बावजूद, हम अपना काम जारी रखते हैं और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाते हैं।

मैं 41 साल की हूँ और अविवाहित हूँ। मैंने कभी परिवार बढ़ाने के बारे में नहीं सोचा, क्योंकि वह नदी है, जिससे मैं प्यार करती हूँ।

मेरे लिए तीस्ता माँ के समान है।

किसी और चीज के लिए मेरे पास समय नहीं है।

मैं सिर्फ यह सुनिश्चित करना चाहती हूँ कि लोग अपनी यात्राओं से सुरक्षित और अच्छी यादों के साथ वापिस जाएं। इसलिए जब तक मुझसे हो सकेगा, मैं तीस्ता में काम करना जारी रखूंगी।

शांति राय के बचाव कार्यों के बारे में पढ़ें, क्योंकि तीस्ता में ज्यादा दुर्घटनाएं अनियोजित विकास कार्यों के कारण होती हैं।

लेख और फोटो कोलकाता स्थित पत्रकार गुरविंदर सिंह द्वारा प्रस्तुत।