गर्मियों में कच्ची बस्तियों के घरों में टिकाऊ छतों द्वारा ठंडक

बेंगलुरु ग्रामीण जिला, कर्नाटक

उन अनौपचारिक (कच्ची) बस्तियों में, जहां पर्यावरण संबंधी मुद्दों का ध्यान रखे बिना घर बनाए जाते हैं, और लोगों का कठोर गर्मी पर नियंत्रण का कोई तरीका नहीं होता, वहां गर्मी से राहत के लिए समाधान प्रदान करने के प्रयास हो रहे हैं।

तेज गर्मी के एक दिन, विवेक गिलानी ने देखा कि उनकी नौकर थकी हुई लग रही है और काम पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है। उन्हें समझ आया कि इसका कारण यह था कि वह रात को ठीक से सो नहीं पाई थी।

उनका मुंबई की कच्ची बस्ती का घर दिन में इतना गर्म हो जाता था कि उसमें रात को भट्ठी में होने जैसा लगता था। सिर्फ छत के एक पंखे से गर्मी कम नहीं की जा सकती थी।

पर्यावरण के फुटप्रिंट कम करने के समाधान प्रदान करने वाली कंपनी, ‘cBalance’ चलाने वाले गिलानी, हैरान थे कि क्या कच्ची बस्तियों के घरों में गर्मी से राहत प्रदान की जा सकती है? क्या गर्मी-रोधक समाधानों को आसान बना कर लगाया जा सकता है, और साथ ही क्या ये टिकाऊ हो सकते हैं?

कंपनी ने छत के ऊपर या नीचे फिट किए जा सकने वाले गर्मी रोधक समाधान प्रस्तुत किए।

उन्होंने सामग्री-गुण और जीवन जैसे कुछ कारकों के आधार पर सामग्रियों का चुनाव किया।                                                                          

कचरा बीनने वालों के साथ काम करने वाली बेंगलुरु स्थित एक संस्था, हसीरू डाला (‘Hasiru Dala’) के साथ साझेदारी में, cBalance ने पायलट प्रोजेक्ट के लिए बेंगलुरु की ज्योतिपुरा झुग्गी बस्ती को चुना।

निवासियों की जरूरत की पहचान

हसीरू डाला की मदद से, टीम ने ज्योतिपुरा के घरों का सर्वेक्षण किया, जिसमें खिड़कियों की संख्या जैसे विवरण दर्ज किए गए।

उन्होंने यह समझने के लिए निवासियों से बात की, कि पूरा दिन घर में रहने वाले लोगों को कैसा महसूस होता है, किस मौसम में वे घर में रहने में सहज महसूस करते थे, और गर्मी का उनके काम और स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।

जैसा ज्यादातर कच्ची बस्तियों में होता है, ज्योतिपुरा के घर एक मंजिला हैं और हवादार नहीं हैं (फोटो – cBalance के सौजन्य से)\

cBalance में प्रोजेक्ट एसोसिएट, अनुषा मोहन ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “हम ऊपर से नीचे कार्रवाई का तरीका नहीं अपनाना चाहते थे। इसलिए हमने सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित की।”

निवासियों के साथ समाधान की योजना

इसके लिए 30 घरों की पहचान की गई।

ये ईंट के बने एक मंजिला घर हैं, जिनमें एस्बेस्टॉस सीमेंट चादरों की छत हैं। मोहन के अनुसार, लगभग 90% घर अपने आप डिज़ाइन किए गए हैं और उनमें हवा और छाया को ध्यान में नहीं रखा गया है।

टीम ने निवासियों को पुणे में उपयोग होने वाले छह व्यावहारिक समाधान सुझाए। निवासियों की इच्छा और समाधान की अनुकूलता के आधार पर, चुने गए 30 घरों में से दस घरों को पायलट कार्यक्रम के लिए चुना गया।

घरों की किस्म और उम्र, डिजाइन, सामग्री और तंत्र पर निवासियों के फीडबैक, और गर्मी से निपटने के स्थानीय तरीकों को ध्यान में रखते हुए, टीम ने ज्योतिपुरा में चार समाधानों को आजमाने का फैसला किया।

मोहन कहते हैं – “किस घर में कौन सा समाधान इस्तेमाल होगा, यह तय करने के बाद, हमने समाधान लागू करने से पहले निवासियों की सहमति प्राप्त की।”

गर्मी-रोधक समाधान

घर की संरचना की मजबूती और निर्माण सामग्री जैसे तत्वों को ध्यान में रखते हुए, टीम ने कुछ घरों में छत के ऊपर और दूसरों में छत के नीचे समाधान स्थापित किए।

छत के ऊपर वाले समाधान के तीन मॉडल थे।

पानी से भरी PET (प्लास्टिक) बोतलों का उपयोग करना सबसे आसान समाधान था। मोहन ने कहा – “क्योंकि पानी गर्मी को सोख सकता है और छत के तापमान को स्थिर कर सकता है।”

ज्योतिपुरा झुग्गियों की एक छत पर गर्मी-रोधक समाधान के रूप में लगाए गए ‘इकोबोर्ड पैनल’ (फोटो – cBalance से साभार)

इंसुलेशन के अच्छे गुणों के साथ, कई परतों वाले प्लास्टिक कचरे से बनी ईकोबोर्ड चादरें, छतों पर इस्तेमाल की गई।

कुछ घरों में क्रॉस-लिंक्ड पॉलीथीन फोम शीट, जिन्हें XLPE शीट भी कहा जाता है, इस्तेमाल की गई।

छतों के ऊपर लगने वाले कुछ समाधान गतिशील हैं, जिन्हें हवा संचार के लिए खोला और बंद किया जा सकता है।

छत के नीचे लगे समाधान के लिए, लकड़ी की फांक, सीमेंट और पानी से बनी लकड़ी की छाल के पैनलों का इस्तेमाल किया गया।

पॅट बोतलें और लकड़ी की छाल के पैनल स्थिर होते हैं, क्योंकि उन्हें हवा के संचार के लिए खोला नहीं जा सकता है।

मोहन कहते हैं – “ये सभी टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल समाधान हैं, जो कोई कचरा पैदा नहीं करते हैं।”

एक समाधान की लागत 5,000 रुपये से 30,000 रुपये के बीच होती है।

समाधान की निगरानी

गर्मी-रोधक समाधान लगाने से पहले, घरों के अंदर के तापमान और आर्द्रता को मापा गया।

हसीरू डाला के हसीरू माने परियोजना के प्रमुख, अकबर अल्लाहबख्श ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “eBalance, हसीरू डाला और घर के मालिक के बीच एक साल के प्रयोग के लिए तीन-भाग का समझौता किया गया।”

एक वर्ष के लिए, सभी मौसमों में cBalance इन समाधानों का रखरखाव और निगरानी करता है।

अल्लाहबख्श कहते हैं – “पहले साल के बाद, यह मालिकों पर निर्भर है कि वे समाधान का उपयोग जारी रखें या बंद करें।”

उपयोगकर्ताओं की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

समाधान स्थापित करने के बाद, टीम ने निवासियों के साथ पहले और बाद के उनके अनुभव के बारे में चर्चा की।

समाधान स्थापित होने के बाद निवासियों से प्राप्त हुई मिली-जुली प्रतिक्रिया (फोटो – हसीरू डाला से साभार)

समाधान के बारे में निवासियों की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है।

सेल्वी, जिनके घर में इकोबोर्ड समाधान लगा है, कहती हैं – “दोपहर 3-5 बजे के बीच जब बिजली नहीं थी, तो गर्मी के कारण सब अपने घरों से बाहर निकल आए। लेकिन हमारा परिवार अंदर ही रहा, क्योंकि हमें घर के अंदर गर्मी महसूस नहीं हुई।”

मुत्तम्मा, जिनके घर में अंदर यानि छत के नीचे लकड़ी की छाल के पैनल लगे हैं, का कहना था कि वह बाहरी समाधान को प्राथमिकता देंगी।

मुत्तम्मा कहती हैं – “मैंने आपके (cBalance और हसीरू डाला) कहने से यह समाधान लगाना स्वीकार किया। लेकिन सुबह 9 बजे भी घर के अंदर बहुत गर्मी होती है। इस समाधान के लगने से पहले, हम कम से कम घर के अंदर रह सकते थे। लेकिन अब हम नहीं रह पाते। बारिश के समय यह अच्छा था। लेकिन गर्मियों में यह गर्म होता है। बिजली का बिल काफी बढ़ गया है।”

हालांकि प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं, लेकिन ये फीडबैक और अवलोकन टीम के लिए आँखे खोलने वाली रही हैं।

 स्थिर समाधानों के मुकाबले, खुलने-बंद हो सकने वाले समाधान ज्यादा प्रभावशाली रहे हैं, जिन्हें हवा संचार के लिए खोला और बंद किया जा सकता है।

सालाना, जलवायु के मौसमी स्वरूप, तापमान और आर्द्रता में बदलाव और पूरे दिन गर्मी में परिवर्तन, आराम के स्तर को प्रभावित करते हैं।

ज्योतिपुरा में रहने वाली आवारा बिल्लियों ने बोर्डों को खरोंचा और नुकसान पहुँचाया।

कुछ लोगों ने महसूस किया कि जो सामग्री अच्छी इंसुलेटर हैं, वे हानिकारक हो सकती हैं, क्योंकि लकड़ी की छाल के पैनल त्वचा पर चकत्ते का कारण बनते हैं।

गर्मी-रोधक समाधानों को ज्यादा प्रभावी बनाना

साल भर तापमान और आर्द्रता को मापते हुए, समाधानों के प्रदर्शन को देखने के बाद, और उपयोगकर्ताओं के फीडबैक के आधार पर, टीम समाधान को और अधिक प्रभावी बनाने की योजना बना रही है।

खोले या बंद किए जा सकने वाले ईकोबोर्ड पैनल जैसे गतिशील समाधान ज्यादा प्रभावी हैं, क्योंकि वे हवा का बेहतर संचार कर सकती हैं (फोटो – cBalance के सौजन्य से)

cBalance का दृष्टिकोण महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को इन समाधानों को लगाने और उद्यमी बनने में सक्षम होने के लिए प्रशिक्षित करना है।

इसके अलावा, भविष्य में होने वाले आवंटन और मौजूदा घरों में इन समाधानों को लगाने के लिए, cBalance की झुग्गी-बस्ती विकास बोर्ड और सार्वजनिक आवास पर काम करने वाली प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ विचार-विमर्श करने की योजना है।

अल्लाहबख्श कहते हैं – “जलवायु-रोधक घरों के निर्माण के लिए, हम हितधारकों को शामिल करते हुए एक नीति बनाना चाहते हैं। क्योंकि जलवायु परिवर्तन से जुड़े ज्यादातर विमर्श वृहद मुद्दों पर केंद्रित रहता है और सूक्ष्म स्तर के मुद्दों को छोड़ देता है। उन्मूलन और अनुकूलन संबंधी रणनीतियां समुदाय या घरेलू स्तर पर केंद्रित नहीं होती हैं।”

इस स्तर पर, एक व्यापक, सभी समस्याओं के एक समाधान की सोच दूर की कौड़ी लगती है। अल्लाहबख्श कहते हैं – “हमें चेन्नई या मुंबई में इन समाधानों के अलग परिणाम मिल सकते हैं, जहां नमी अधिक है।”

‘एशडेन’ के ‘फेयर कूलिंग फण्ड’ विजेताओं में से एक के रूप में, cBalanace की कोशिश प्रभावी समाधान पर पहुंचने की है।

इस लेख के शीर्ष पर मुख्य फोटो बेंगलुरु के पास ज्योतिपुरा की झुग्गी का एक गर्मी-रोधक समाधान दर्शाती है (फोटो – cBalance साभार)

विजयलक्ष्मी श्रीधर ‘फिक्शन एंड फीचर्स’ की चेन्नई स्थित एक लेखिका हैं।