वंचित बच्चों को विश्वविद्यालय जाने में मदद

कर्नाटक में आजीवन सामाजिक कार्यकर्ता के नेतृत्व में, जुनूनी, सेवानिवृत पेशेवरों के एक छोटे समूह ने हाशिये पर रह रहे प्रतिभाशाली बच्चों को ढूंढ कर उन्हें पढ़ा रहा है। उनका लक्ष्य पचास बच्चों को आईआईटी में प्रवेश दिलाना है।

मेरी निंगम्मा से मुलाकात तब हुई, जब मैं चिक्कबिदारकल्लू के सरकारी स्कूल में छात्रों को पढ़ा रहा था। मैंने उसे और 20 अन्य छात्रों को, नवंबर 2020 में 8वीं कक्षा की नेशनल मीन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप (NMMS) परीक्षा में बैठने के लिए तैयार किया।

निंगम्मा ने शानदार तरीके से परीक्षा पास करते हुए, 180 में से 107 अंक प्राप्त किए, जो जिले में परीक्षा देने वाले सभी विद्यार्थियों में सबसे ज्यादा थे।

लेकिन तभी महामारी आ गई।

निंगम्मा अपने गांव वापस चली गई।

निंगम्मा बेंगलुरु के उत्तरी बाहरी इलाके में स्थित, एक उपनगरीय गांव नेलगदारनहल्ली से है। वहां रहने वाली ज्यादातर महिलाएं गारमेंट मजदूर हैं। वे लगभग 9,000 रुपये महीना कमाते हैं, जिसमें से लगभग 2,000 रुपये घर का किराया देना पड़ता हैं। बहुत से लोग ग्रामीण इलाकों से बेंगलुरु चले गए और उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं।

मैं निंगम्मा और दूसरे बच्चों को गणित पढ़ाना जारी रखना चाहता था, क्योंकि मैं देख सकता था कि उनमें क्षमता थी। मैंने उन सभी से संपर्क किया, लेकिन केवल निंगम्मा ने ही रुचि दिखाई।

https://www.villagesquare.in/wp-content/uploads/2022/09/Edu-04.jpg बच्चों का समूह जिन्हें गांव में जाने पर प्रमोद ने पहली बार देखा था, उनमें से दाईं ओर दिख रही दो लड़कियों, सौम्या और निंगम्मा को उन्होंने 2019 में पढ़ाया (छायाकार – प्रमोद कुलकर्णी)

कुछ शुरुआती अड़चनों के बाद, मैंने उसे 8वीं कक्षा का गणित पढ़ाना शुरू किया, हालाँकि वह 9वीं कक्षा में चली गई थी। उसने उन ऑनलाइन कक्षाओं का आनंद लिया, जो हम चला रहे थे।

मेधावी बच्चों को पढ़ाने में मदद के लिए दोस्तों को जुटाना

जल्द ही मैंने अपने तीन दोस्तों को, जो मेरी तरह पढ़े लिखे और सेवानिवृत्त थे, उसे पढ़ाने के लिए कहा। उन्होंने मेरा अनुरोध स्वीकार कर लिया और पढ़ाना शुरू कर दिया।

हम सभी शिक्षा के प्रति जुनूनी हैं।

हम “वैचारिक शिक्षा” को प्राथमिकता देते हैं, जिसमें छात्रों को अलग-अलग तथ्यों, विधियों और सूत्रों को घोटने की ज्यादा पारम्परिक तरीके की बजाय, सिद्धांतों के इस्तेमाल से पढ़ाना शामिल है।

हमने अपने शिक्षण में गणित और विज्ञान की एनसीईआरटी एक्जम्पलर पुस्तकों का भी उपयोग किया। ये किताबें आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली पाठ्यपुस्तकों से एक स्तर ऊपर हैं। हमने छात्रों को ‘राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा’ (NTSE) में बैठने के लिए भी प्रोत्साहित किया और उन्हें NTSE गाइड प्रदान किए, जो एनसीईआरटी एक्जम्पलर पुस्तक से और एक स्तर ऊपर हैं।

एक अन्य छात्र जिसे कुलकर्णी पढ़ाते हैं। उन्होंने 4000 छात्रों में कर्नाटक राज्य की NNMS परीक्षा में टॉप किया है (छायाकार – प्रमोद कुलकर्णी)

छात्रों को लैपटॉप भी प्रदान किए गए और हमने निंगम्मा को निजी ट्यूशन के लिए नामांकित किया, जिसका खर्च हमने दिया।

निंगम्मा को पढ़ाने का परिणाम

निंगम्मा ने 10वीं की अंतिम परीक्षा में 620 में से 616 अंक प्राप्त किए!

यह लगभग 99 प्रतिशत थे। राज्य स्तर पर यह छठी रैंक का समूह था।

अब आप सोच रहे होंगे, “फिर क्या हुआ?” असल में 2022 में कोई NTSE परीक्षा नहीं हुई। अगर होती, तो निंगम्मा पास हो गई होती।

कर्नाटक राज्य में, हर साल 450 छात्र NTSE-I चरण में पास होते हैं। इनमें से 395 हाईटेक निजी स्कूलों से हैं। सरकारी स्कूलों के सिर्फ 15 छात्र ही परीक्षा पास करते हैं।

वर्ष 2021 में निंगम्मा अपने पिता के साथ, जो एक ड्राइवर हैं (छायाकार – प्रमोद कुलकर्णी)

निंगम्मा आईआईटी के लायक है। लेकिन हमें सही साबित होने के लिए दो साल तक इंतजार करना होगा। 

सरकारी स्कूलों में मेधावी छात्रों की अनदेखी

सरकारी व्यवस्था में ऊंची क्षमता वाले कुछ बहुत प्रतिभाशाली छात्र हैं, ऐसे छात्र जो ऊंचे स्तर की पढ़ाई से लाभ उठाकर अच्छे परिणाम ला सकते हैं।

लेकिन इस व्यवस्था में उनकी शैक्षिक जरूरतें सीमित तरीके से ही पूरी हो सकती हैं। इसमें इन छात्रों को उस स्तर की शिक्षा नहीं मिल सकती, जिसकी इन्हें जरूरत है।

इन छात्रों को NTSE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और पढ़ाई की सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।

इसीलिए अपने दोस्तों की मदद से मैंने राज्य भर के सरकारी स्कूलों के अत्यंत प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान करने और उन्हें गहन, “सैद्धांतिक-स्तर” की पढ़ाई के लिए प्रेरित करने की एक योजना बनाई।

प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान और पढ़ाई की योजना

इन छात्रों को एनटीएसई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और सीखने की सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। उन्हें एनसीईआरटी एक्जम्पलर और एनटीएसई पुस्तकों का उपयोग करना चाहिए और अच्छे शिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित होना चाहिए।

दो वर्षों में, ये छात्र भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के लायक होंगे और NTSE में उत्तीर्ण होने वालों में बहुत से सरकारी स्कूलों से होंगे।

प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की पहचान

हमने 2021 के NMMS के परिणामों की जांच की। लगभग 4,000 छात्र उत्तीर्ण हुए थे। उनमें से 400 छात्रों ने 100 और उससे ज्यादा अंक प्राप्त किए थे। हमने इन 400 छात्रों के स्कूलों का पता प्राप्त किया। हमने इन स्कूलों के प्रमुखों को पत्र लिखा। कुल मिलाकर, हमने 300 पत्र लिखे।

और हाँ, स्कूल प्रमुखों की बदौलत पत्र छात्रों तक पहुँचे।

ऊंची सफलता पाने वाले छात्रों को लिखे गए कुछ पत्र (छायाकार – प्रमोद कुलकर्णी)

साठ छात्रों ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वे NTSE की तैयारी में रुचि रखते हैं और अतिरिक्त कोचिंग चाहते हैं। हमारा अगला बैच तैयार था।

सितंबर 2021 में, हमने छात्रों के इस समूह के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की। निंगम्मा के बाद यह दूसरा बैच था, जिसे हम पढ़ा रहे थे। सभी छात्रों को एनसीईआरटी एक्जम्पलर पुस्तक और NTSE गाइड बुक प्रदान की जाती है।

हम उन्हें 10 महीने से पढ़ा रहे हैं।

साठ में से सिर्फ छह छात्र ही हमारे साथ रुके हैं, जो दुखद है।

हमारे पास उन सभी से संपर्क करने, उनके सामने आने वाली शैक्षणिक कठिनाइयों को समझने और पढ़ाई के लिए उन्हें अपने साथ रखने के लिए, पर्याप्त समय और ऊर्जा नहीं थी।

लेकिन जिन छह छात्रों ने हमारे साथ पढ़ाई जारी रखी है, हमने उन्हें 8वीं और 9वीं कक्षा पूरी करने में मदद की है। अब वे 10वीं कक्षा में हैं। साल का एक तिहाई भाग बीता है और वे मार्च में अपनी परीक्षा देंगे।

हमने छात्रों का मूल्यांकन किया है और विश्वास है कि हर एक 2023 में 10वीं कक्षा की परीक्षा में 95% या ज्यादा अंक प्राप्त करेगा, NTSE पास करेगा और इंजीनियर कॉलेजों में प्रवेश की JEE परीक्षा में सफलता प्राप्त करेगा और संभवतः 2025 में आईआईटी के लिए क्वालीफाई करेगा।

ये महज़ उम्मीदें नहीं हैं। ये हमारे आकलन हैं।

प्रतिभाशाली छात्रों का तीसरा बैच

अपनी प्रगति से उत्साहित होकर, हमने 2022 NMMS के परिणामों को देखा। हमें 400 छात्रों की एक सूची मिली, जिन्होंने 100 से ज्यादा अंकों के साथ NMMS पास किया। हमने उन सब को, कुल मिलाकर लगभग 300 पत्र लिखे।

वे ज्ञान से प्रेम करते हैं, अनुशासित हैं और उन्हें अपने परिवारों का सहयोग प्राप्त है।

लगभग 70 छात्रों ने उत्तर दिया।

इनमें से लगभग 25 छात्र अपनी पढ़ाई के प्रति बेहद सुसंगत और जुनूनी हैं।

हम और ज्यादा छात्रों को रख सकते थे, लेकिन इसके लिए अधिक प्रयास और व्यक्तिगत संपर्क की जरूरत होगी, जो इस समय हम प्रदान नहीं कर सकते।

ये 20 से ऊपर छात्र पढ़ाई में बेहतरीन हैं। वे ज्ञान से प्रेम करते हैं, अनुशासित हैं और उन्हें अपने परिवारों का सहयोग प्राप्त है।

इस साल कक्षाएं 10 जून को शुरू हुईं और हम उन्हें अगले मार्च तक जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वर्ष 2015 में तत्कालीन भारतीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा ‘सर्विस ऑफ़ चिल्ड्रन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ संगठन का पुरस्कार दिया गया (फोटो – प्रमोद कुलकर्णी के सौजन्य से)

हमें यकीन है कि हम आईआईटी परीक्षा में सफल होने के लिए 25 में से लगभग 10 छात्र तैयार कर सकते हैं।

लेकिन हमें निश्चित रूप से 2026 में पता चलेगा।

जहां तक निंगम्मा की बात है, हमें खुशी है कि उसे तुमकुरु के दीक्षा कॉलेज में सीट मिल गई है, जहां वह 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही है।

उसके दाखिले के अंकों से स्पष्ट था कि उसे छात्रवृत्ति मिलेगी, मुफ्त ट्यूशन और हॉस्टल मिला, जिनका छात्रों का दो साल का खर्च आम तौर पर 5 लाख होता है।

वह कैंपस टॉपर है और मुझे विश्वास है कि वह दो साल में आईआईटी में भी प्रवेश पा लेगी।

वास्तव में मुझे उम्मीद है कि तीन वर्षों में हम “सुपर 10” तक पहुंच जाएंगे, जिससे दस छात्रों को आईआईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने में मदद मिलेगी।

फिर हम तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक हम “सुपर 50” तक नहीं पहुंच जाते।

लेख के शीर्ष की फोटो में छात्रों के एक समूह को पढ़ाते हुए दिखाया गया है (छायाकार – शारदा बालासुब्रमण्यम)

प्रमोद कुलकर्णी आजीवन एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। वह ‘सोसाइटी फॉर दि असिस्टेंस टू चिल्ड्रन इन डिफिकल्ट सीटुएशन्स’, SATHI के संस्थापक हैं, जिसके लिए उन्हें ‘आश्रय प्रबंधन श्रेणी’ के अंतर्गत “टाइम्स नाउ अमेज़िंग इंडियन” से सम्मानित किया गया था। यह शिक्षण कार्य एक अलग पहल है।