कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर सफारी यात्राएं प्रदान करने के लिए, छत्तीसगढ़ के युवाओं के एक समूह ने SUV (स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स) खेल उपयोगिता वाहनों में निवेश किया, जिससे उन्हें आय प्राप्त होती है और बस्तर में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
जब तीरथगढ़ झरने की आकर्षक काली परतों वाली चट्टानों पर गिरते पानी को देखकर मंत्रमुग्ध हो रहे हैं, तो उन्हें यहां लाने वाले दिनेश कुमार पाण्डेय एक सुकून भरी मुस्कान के साथ देख रहे हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से 3 किलोमीटर दूर के गांव, मौलिपादर के निवासी पाण्डेय, वन विभाग की सफारी पहल की बदौलत एक वेतनभोगी सफारी ड्राइवर बन गए हैं।
कभी नक्सली गढ़ रहा बस्तर, अब इकोटूरिज्म के लिए खुल रहा है, जिसमें कांगेर घाटी अपनी ‘कोटमसर चूना पत्थर की गुफाएं और खूबसूरत तीरथगढ़ झरने प्रसिद्ध हैं।
बस्तर की नेचर सफारी
हालांकि यहाँ कोई बाघ, हाथी या दूसरे भव्य जानवर नहीं हैं, फिर भी कांगेर घाटी प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत है। यह जैव विविधता से समृद्ध है और गुफा अपने बर्फ के आकार के चूने के स्तम्भों और लटकती हुई चूने की संरचनाओं के कारण लोकप्रिय है।
इसका फायदा उठाने की उम्मीद में, 2017 में बस्तर के वन विभाग ने एक नेचर सफारी पहल शुरू की, जिससे स्थानीय लोगों को सफारी पर्यटन के लिए SUV वाहन खरीदने में मदद मिली।
वाहन खरीदने के लिए सिर्फ 4% ब्याज पर ऋण के लिए, एक रिवॉल्विंग फंड की स्थापना की गई। आसपास के गांवों के तेईस ड्राइवरों ने सफारी के लिए वाहन खरीदे और ‘ईको विकास समिति’ नाम से एक एक उद्यम का गठन किया।
पाण्डेय कहते हैं – “प्रत्येक ड्राइवर के लिए रोज कम से कम दो ट्रिप होती हैं। नवंबर और दिसंबर में, जब यह स्थान पर्यटकों से खचाखच भरा होता है, तो एक ड्राइवर रोज पांच तक ट्रिप कर लेता है। आम तौर पर, छह लोग पीछे बैठते हैं और सामने एक गाइड होता है।”
एक ट्रिप में दो से तीन घंटे लगते हैं। प्रत्येक ड्राइवर को उसकी बारी मिले, इसके लिए 9 लाख रुपये की लागत वाले SUV सीरियल नंबर के अनुसार चलते हैं।
कमाई का एक अवसर है सफारी
ड्राइवर कौशल ठाकुर ने स्वीकार किया कि शुरू में पर्यटकों की प्रतिक्रिया को लेकर झिझक थी। इसलिए शुरू के रूट चार्ट में कोटमसर गुफा शामिल थी, जो पर्यटन सूची में शीर्ष पर है।
सफारी की सवारी के लिए पूरे वाहन का किराया 1,500 रुपये है और गाइड का शुल्क 150 रुपये है। यदि पर्यटक तीरथगढ़ झरना देखना चाहते हैं, तो उन्हें 300 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ता है।
प्रत्येक वाहन का सालाना लाभ लगभग 1 लाख रुपये होता है। महामारी के दौरान क्योंकि वाहन नहीं चले, इसलिए ईएमआई नहीं वसूली गई।
कांगेर घाटी के निदेशक धम्मशील गणवीर कहते हैं – “लगभग 80% ऋण चुका दिए गए हैं।”
हालांकि ड्राइवरों को नियमित आय प्राप्त होती है, लेकिन लंबी दूरी तक चलने के कारण वाहनों को बार-बार मरम्मत की जरूरत होती है। न सिर्फ सुचारू रूप से चलने के लिए सीज़न के शुरू में वाहन की सर्विस करानी पड़ती है, बल्कि वाहन के रखरखाव पर सालाना 40,000-50,000 रुपये खर्च हो सकते हैं और सबसे नजदीकी गैरेज 30 किमी दूर है।
इन खर्चों के बावजूद, मुन्ना बघेल के लिए सफारी का मतलब है अच्छी कमाई।
उन्होंने कहा – “मैं तीरथगढ़ आने वाले वन अधिकारियों की तस्वीरें खींचता था। तभी एक रेंजर ने मुझे सफ़ारी सेवा के बारे में बताया। जहां हममें से कुछ लोग प्रकृति के प्रति उत्सुक थे, वहीं दूसरे लोग वन्य जीवन को पसंद करते थे। इससे हमें एक साथ आने और समिति बनाने में मदद मिली।”
पर्यटकों के लिए राष्ट्रीय उद्यान का समय बढ़ा
ड्राइवर खुश हैं कि निदेशक गणवीर ने पार्क का मौसम बदल दिया है।
पहले राष्ट्रीय उद्यान 1 नवंबर से 15 जून के बीच खुला रहता था। लेकिन इस साल से यह 1 अक्टूबर को खुलेगा, जिसका मतलब है कि ड्राइवरों को काम का एक और महीना मिलेगा। बिना काम के तीन महीनों में, ड्राइवर खेती करते हैं।
पांडेय ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “ज्यादातर सफारी नवंबर से जनवरी तक होती हैं।”
हालांकि सीज़न के आखिरी दिनों में, ज्यादा लोग कोटमसर आते हैं, कभी-कभी एक समय में 50 से ज्यादा लोग गुफा के अंदर होते हैं।
समानांतर लाभ
सफारी ड्राइवरों के अलावा, लच्छू मोहोरे जैसे स्थानीय लोग भी गाइड के रूप में अच्छा पैसा कमाते हैं। मोहोरे पहले थोड़ा से पैसे कमाने के लिए जंगल में घूम कर लोगों को दिलचस्प स्थान दिखाते थे। अब उन्हें हर ट्रिप के लिए बंधे 150 रुपये मिलते हैं और व्यस्त महीनों के दौरान वे 4,000-5,000 रुपये कमाते हैं।
तीरथगढ़ झरने पर, 30 युवाओं का एक समूह, ‘आमचो बस्तर पर्यटन विकास समिति’ पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करता है और नियमित रूप से सफाई का काम करता है। युवाओं की कमाई पर्यटन से होने वाली आय के आधार पर होती है।
पीतांबर ठाकुर, जो एक टेलीकॉम कंपनी में काम करते थे, अब जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न पर्यटन स्थलों पर शुरू की गई पहल ‘आमचो (हमारा) बस्तर’ का हिस्सा हैं।
खेमेश्वरी ठाकुर और मनीता नाग जैसी लड़कियां भी इस पहल का हिस्सा हैं।
ज्यादातर युवा बारहवीं कक्षा तक पढ़े हैं। फिर उन्हें तीन महीने तक शिष्टाचार का प्रशिक्षण दिया जाता है।
तीरथगढ़ में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2020 में 53,108 पर्यटक आए और 2021 में उनकी संख्या लगभग पांच गुना हो गई। ट्रैवल स्टार्ट-अप ‘अनएक्सप्लोर्ड बस्तर’ के अनुसार, 2022 में एक लाख से ज्यादा पर्यटक आए।
दस नए वाहन और जोड़े जाएंगे, ताकि कोलेंग में उद्यान के दूसरे प्रवेश द्वार से सफ़ारी शुरू हो सके।
जैसे-जैसे गाँव इको-टूरिज्म में शामिल हो रहे हैं, सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं। ग्रामीण विद्युतीकरण और सौर ऊर्जा से चलने वाली पेयजल आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित है।
सफारी पहल के शुरू होने से पहले, वन विभाग ने कई युवाओं से 1 लाख रुपये जमा करके समिति में शामिल होने का आग्रह किया था। अब और लोग समूह में शामिल होना चाहते हैं, क्योंकि पर्यटन जोर पकड़ रहा है।
लेख की मुख्य फोटो में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की सफारी के लिए तैयार SUV को दिखाया गया है (छायाकार – दीपन्विता गीता नियोगी)
दीपन्विता गीता नियोगी नई दिल्ली में स्थित एक पत्रकार हैं।
अपनी जड़ों की ओर लौटते हुए, तमिलनाडु के शिक्षित युवाओं ने अपनी पैतृक भूमि का आधुनिकीकरण करके और इज़राइली कृषि तकनीक का उपयोग करके कृषि उत्पादन को कई गुना बढ़ा दिया है।
पोषण सखी या पोषण मित्र के रूप में प्रशिक्षित महिलाएं ग्रामीण महिलाओं, विशेषकर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पौष्टिक भोजन खाने और एनीमिया और कम वजन वाले प्रसव पर काबू पाने के लिए सलाह और मदद करती हैं।
ओडिशा में, जहां बड़ी संख्या में ग्रामीण घरों में नहाने के लिए बंद जगह की कमी है, बाथरूम के निर्माण और पाइप से पानी की आपूर्ति से महिलाओं को खुले में नहाने से बचने में मदद मिलती है।