‘शानदार अंजीर’: पुणे के पश्चिमी घाट के अंजीर की मांग अधिक क्यों?

पुणे, महाराष्ट्र

चाहे ताजा हों या जैम के रूप में हों, पुणे की पहाड़ियों के पुरंदर के बागों के अंजीर, अमरूद, कस्टर्ड सेब के लिए शहरों और विदेशों में ग्राहक मौजूद हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।

सुबह छह बजे, पुरस्कार विजेता किसान सामिल इंगले जल्दी-जल्दी अपनी मेहनत के ताजे चुने हुए फलों को पुणे की ‘पुरंदर हाईलैंड्स फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी (PHFPC) के संग्रह केंद्र में ले जाते हैं।

सिंघापुर गाँव के विशाल बगीचे में उगाए, उनके अंजीर के टोकरे के अस्तित्व के लिए गति महत्वपूर्ण है।

यह समझना मुश्किल नहीं है कि तोड़े गए फल बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनकी शेल्फ-लाइफ भी कम होती है।

इंगले और अन्य लोगों के पश्चिमी घाट की पहाड़ियों के खेत से, ‘सुपर फिग्स’ के ब्रांड नाम के उत्पादों की मांग बहुत ज्यादा है।

PHFPC के अध्यक्ष रोहन उर्सल कहते हैं – “हम सात राज्यों में अंजीर भेजते हैं। ये ई-कॉमर्स साइटों पर भी उपलब्ध हैं।”

पुरंदर हाइलैंड्स के अंजीर किसानों को अपनी उपज की शेल्फ लाइफ कम होने की समस्या का एक रास्ता मिल गया है (छायाकार – हिरेन कुमार बोस)

गाड़ियां दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद, कोचीन और हैदराबाद भेजी जाती हैं। कुछ तो विदेशों की सुपरमार्केट के फलों के गलियारों में भी पहुंच जाते हैं।

अंजीर एक प्रीमियम उत्पाद क्यों है?

तो स्पष्ट प्रश्न यह है कि पुरंदर के अंजीर को एक प्रीमियम उत्पाद क्यों माना जाता है?

ऐतिहासिक दस्तावेजों से पता चलता है कि 1904 में पुरंदर तहसील के दिवे गाँव की जाधववाड़ी में अंजीर की व्यावसायिक खेती की जाती थी। 

अंजीर की इस किस्म को पहचान मिली और 1920 के दशक में यह लोकप्रिय हो गई। इसे 2016 में भौगोलिक टैग (GI Tag) प्राप्त हुआ और हाल ही में ‘इंडिया पोस्ट’ द्वारा विशेष रूप से कवर करके सम्मानित किया गया।

पुरंदर में लगभग 600 हेक्टेयर में अंजीर उगाया जाता है और हर साल लगभग 4,300 टन ताजे अंजीर पैदा होते हैं।

पुरंदर अंजीर का अनोखा आकार, आकृति, रंग और गूदा इसकी कृषि-जलवायु परिस्थितियों के कारण है।

सबसे अच्छे अंजीर शुष्क या अर्ध-शुष्क क्षेत्रों से आते हैं, जहां भरपूर धूप मिलती है और अच्छी सिंचाई होती है। गहरे कुओं से पानी से सिंचित बागों वाले भरपूर धूप पाने वाले पुरंदर इस के लिए एकदम उपयुक्त है।

इसके लिए अंजीर, उसके लिए अंजीर

कैल्शियम और पोटैशियम से भरपूर अंजीर दुनिया भर में सदियों से पसंदीदा रहा है।

लैटिन अमेरिका के माया और इंका लोगों ने इसका स्वाद चखा, जब कि मिस्र, यूनानी, रोमन, प्राचीन चीनी, सिंधु घाटी जनजातियाँ और सुमेरियन भी इससे एक मादक स्मूदी बनाते थे।

अपने अंजीर के बगीचे में दिखाई दे रहे सामिल इंगले जैसे बहुत से किसानों को अपने फलों और इनके उत्पादों के लिए एक निर्यात बाजार मिल रहा है (छायाकार – हिरेन कुमार बोस)

आज इस फल से सलाद और पास्ता व्यंजन से लेकर केक, आइसक्रीम और स्मूदी तक अनेक व्यंजन बनते हैं। भारत में धूप में सुखाए अंजीर पसंद किए जाते हैं, हालाँकि अंजीर से बनी जैम और जेली की भी लोकप्रियता बढ़ रही है।

भारत में अंजीर का मौसम?

अंजीर साल में दो बार पकता है। मई से जून और दिसंबर से जनवरी।

बरसात के मौसम के फल मध्यम मीठे होते हैं और सुंदर नहीं होते। लेकिन इनकी बहुत मांग है, क्योंकि खरीफ़ (मॉनसून) के मौसम में दूसरे फल नहीं होते।

वसंत-ग्रीष्म ऋतु की फसल उच्च गुणवत्ता वाली होती है और इससे अधिक पैसे मिलते हैं।

हमने एक पॉलीप्रोपाइलीन की लेजर से छिद्र बना पैकेजिंग समाधान तैयार किया है, जो पुरंदर अंजीर की शेल्फ-लाइफ को 21 दिनों तक बढ़ा देता है।

बाग मालिकों को अपनी उपज को महानगरों और विदेशों के आकर्षक बाजारों में भेजने के लिए, लंबे समय से संघर्ष करना पड़ा है, क्योंकि अंजीर तोड़ने के कुछ घंटों के भीतर ही अपनी गुणवत्ता खो देते हैं।

पैकेजिंग से उत्तमता

इस समस्या को एक अनूठी पैकेजिंग विधि से निपटा गया है।

इज़राइल स्थित स्टेपैक की भारत प्रतिनिधि ‘हाईटेक सॉल्यूशंस’ के केतन वाघ कहते हैं – “अंजीर उत्पादकों ने हमसे संपर्क किया था। हमने एक पॉलीप्रोपाइलीन के लेजर से छिद्र किया पैकेजिंग समाधान तैयार किया है, जो एक विशेष तापमान पर संग्रह करने पर, पुरंदर अंजीर की शेल्फ-लाइफ को कटाई के बाद 21 दिनों तक बढ़ा देता है।”

अपनी उपज के साथ पुरंदर हाइलैंड्स के संग्रह केंद्र पर कतार में खड़े किसान (छायाकार – हिरेन कुमार बोस)

इसने पुरंदर अंजीर के लिए नए बाजार खोल दिए।

जुलाई में, PHFPC ने ‘महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (MSAMB) के सहयोग से दो खेप हैम्बर्ग और रॉटरडैम को निर्यात की।  

किसान-उत्पादक कंपनी इस साल के अंत में यूरोप में पूर्ण निर्यात पर विचार कर रही है। घरेलू बाजार का पूरा दोहन करने के अलावा, इसकी नजर ‘पैन-एशियाई’ बाजार पर भी है।

PHFPC के अध्यक्ष उर्सल ने कहा – “हमारे अंजीर दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से आने वाले अंजीर से प्रतिस्पर्धा करेंगे, क्योंकि उनका मौसम हमारे साथ मेल खाता है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, हमें उत्पादकों के साथ काम करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे कृषि की सही पद्धतियों का पालन करें।”

पुरंदर का गौरव

बाग के मालिक इंगले, जो बागवानी में विशेषज्ञता हासिल करने से पहले रेलवे में थे, केवल अपनी अंजीर से होने वाली आय पर निर्भर नहीं हैं।

PHFPC के निदेशक यह किसान कहते हैं – “हम कस्टर्ड सेब और अमरूद भी उगाते हैं। हमने अपनी उपज को हानिकारक रासायन से मुक्त और निर्यात के लिए तैयार बनाने के लिए, खेती का एक टिकाऊ तरीका पेश किया है।”

विभिन्न फलों से बने शीशे के जार में पैक स्वादयुक्त पदार्थ ई-कॉम साइटों पर उपलब्ध हैं (छायाकार – हिरेन कुमार बोस)

कंपनी की स्थापना 2021 में हुई थी और इसमें पुरंदर के छह गांवों के 260 से अधिक सदस्य हैं।

उर्सल कहते हैं – “हम पुरंदर अंजीर और रत्नदीप अमरूद से अंजीर और अमरूद ब्रेड स्प्रेड भी बनाते हैं।”

रत्नदीप के अमरूद का गूदा विशिष्ट चमकीला गुलाबी होता है और यह अंजीर की तरह ही प्रसिद्ध है।

अपने श्रुस्बरी बिस्कुट के लिए लोकप्रिय पुणे की ‘कयानी बेकरी’ अपने अंडे रहित अमरूद केक के लिए केवल इसी किस्म का उपयोग करती है।

उर्सल ने कहा – “हमने रुस्तम कयानी से संपर्क किया और उन्होंने लाल अमरूद का केक बनाया। यह हमारे लिए गर्व का क्षण था, जब उन्होंने इसका नाम पुरंदर अमरूद एगलेस केक रखा था।”

पुरंदर का अमरूद अपने हर रूप में अपनी सुगंध और स्वाद बरकरार रखता है, जैसे ताजे फल, केक, या जैम, जेली, मेसन जार में संरक्षित।

पुरंदर की जैम फैक्ट्री की कतार में आगे जामुन, आम और सफेद अमरूद हैं।

अगला स्तर

जो चीज पुरंदर को अलग करती है, वह है इसकी बहुआयामी बिक्री रणनीति, जिसमें ताजे फल और जैम और जेली जैसी प्रोसेस्ड वस्तुएं बेची जाती हैं।

मंगेश लवांडे के साथ PHFPC के रोहन उर्सल और अमन इंगले – पुरंदर के वे किसान, जो इस बात पर गर्व करते हैं कि उनके अंजीर और अमरूद से स्प्रेड और जैम बनाया जाता है (छायाकार – हिरेन कुमार बोस)

पुरंदर तालुका के कृषि अधिकारी, सूरज जाधव का कहना था कि किसान-उत्पादक कंपनी ने वैश्विक कृषि पद्धतियां (GAP) भी प्रस्तुत की हैं, जो भोजन से होने वाली बीमारियों से संबंधित सूक्ष्मजीवी संदूषण के खतरे को कम करेगी।

PHFPC ने ‘बायर क्रॉप साइंसेज’ के साथ प्रमाणन प्रणाली, GAP के लिए समझौता किया है, जिसमें उत्पादन और कटाई प्रक्रिया के पूरे समय, श्रमिकों की स्वच्छता और स्वास्थ्य, खाद का उपयोग और पानी की गुणवत्ता शामिल हैं। यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद सुरक्षित और पौष्टिक हों।

बायर में खाद्य मूल्य श्रृंखला प्रबंधक गणेश सालुंखे ने कहा – “हम खेतों को टिकाऊ बनाने में सहायता कर रहे हैं, ऐसे पौधों के साथ, जिनमें अनुकूलता और प्रतिरोध अधिक हैं। हम बेहतर परागण, श्रमिकों के स्वास्थ्य आदि को प्रोत्साहित करने के लिए, किसानों को मिट्टी की तैयारी, भंडारण, कीट प्रबंधन, मधुमक्खी पालन पर मार्गदर्शन करते हैं।

शीर्ष पर मुख्य फोटो में पुरंदर हाइलैंड्स से ताजा काटे गए अंजीर को दिखाया गया है (छायाकार – हिरेन कुमार बोस)

हिरेन कुमार बोस ठाणे, महाराष्ट्र स्थित एक पत्रकार हैं। वह सप्ताहांत में किसान के रूप में भी काम करते हैं।