Author: हिरेन कुमार बोस
मधुमक्खी पालन से छत्तीसगढ़ की जनजातियों ने चखा सफलता का स्वाद
वन उपज, वर्षा आधारित कृषि और जंगल के शहद पर निर्भर, दंतेवाड़ा के खनन क्षेत्र में हाशिये पर जीवन जीने वाली स्थानीय जनजातियों ने आधुनिक मधुमक्खी पालन को सफलतापूर्वक अपना लिया है।
‘शानदार अंजीर’: पुणे के पश्चिमी घाट के अंजीर की मांग अधिक क्यों?
चाहे ताजा हों या जैम के रूप में हों, पुणे की पहाड़ियों के पुरंदर के बागों के अंजीर, अमरूद, कस्टर्ड सेब के लिए शहरों और विदेशों में ग्राहक मौजूद हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
कृषि-उद्यमिता: एक कप लेमनग्रास चाय में प्रेरक पारिवारिक कहानी
पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर ‘साईबाबा गावती चाय सेंटर’ की हस्ताक्षर चाय अपने मालिक की मामूली नौकरी करने वाले लड़के से लेकर सफल कृषि-उद्यमी तक की कहानी कहता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था: आराम और इतिहास को सिलती कर्नाटक रजाई
आमतौर पर एक अतिरिक्त प्रयास के रूप में देखी जाने वाली, कर्नाटक की रजाई बनाने वाली कुशल महिलाएं, कपड़े के रंगीन टुकड़ों को खूबसूरत ‘पैबंद रजाई’ (पैचवर्क रजाई) में बदल कर अपनी विरासत को जीवित रखती हैं और अच्छा पैसा भी कमाती हैं।