ग्रामीण भारत के प्लास्टिक कचरे की एक झलक

भारत सरकार का 'एकल-उपयोग प्लास्टिक' के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध 1 जुलाई, 2022 से लागू हो गया है। अधिसूचना के अनुसार उल्लंघन करने वालों को पांच साल तक की जेल, या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। जब यह प्रतिबंध लगा है, तो हमने अपने बढ़ते फोटो-समुदाय को यह दिखाने के लिए कहा, कि प्लास्टिक कचरा ग्रामीण भारत को कैसे प्रभावित करता है। तस्वीरें ग्रामीण पर्यावरण में प्लास्टिक कचरे के प्रसार और मनुष्यों से जानवरों तक, हर किसी को बराबर प्रभावित करने वाले जहरीले तरीकों को दिखाती हैं।

कावेरी के पवित्र संगम, त्रिवेणी संगम के प्रदूषित पानी में भोजन तलाशता एक घोंघिल सारस (ओपनबिल स्टॉर्क)। भारत की तीन नदियाँ – सिंधु, ब्रह्मपुत्र, और गंगा – प्लास्टिक कचरा ले जाने वाली दुनिया की मुख्य 10 नदियों में शामिल हैं (छायाकार – पवन प्रसाद)

पेरियापटना में प्लास्टिक मलबे को खाता नीली कीचमुर्गी (ग्रे -हेडेड स्वाम्फेन) का एक जोड़ा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषण लुप्तप्राय पक्षी प्रजातियों को खतरा काफी बढ़ा देता है (छायाकार – पवन प्रसाद)

भक्तों द्वारा फेंके गए प्लास्टिक को खाता ‘बोनेट मकैक’ बन्दर का बच्चा। वर्ष 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक का ‘वैश्विक कार्बन फुटप्रिंट’ दो बिलियन गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड है (छायाकार – पवन प्रसाद)

महाराष्ट्र में पानी में फेंका गया प्लास्टिक कचरा – प्लास्टिक का ढेर। भारत उन 20 प्रमुख देशों में दूसरे स्थान पर है, जहां नदियों में प्लास्टिक उत्सर्जन का अनुपात अधिक है (छायाकार – शिवाजी शेकप्पा धुते)

कर्नाटक के नंजनगुड में प्रदूषित पानी में बैठा एक तालाब-बगुला। ‘पर्यावरण प्रबंधन और पुलिस अनुसंधान संस्थान (EMPRI)’ के अनुसार, मैसूरु और नंजनगुड क्षेत्रों के लगभग 70% जल श्रोत प्रदूषित हैं (छायाकार – पवन प्रसाद)

कचरा खाती हुई गाय – पूरे भारत का एक आम दृश्य। प्लास्टिक कचरा गायों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। सिर्फ लखनऊ में ही प्लास्टिक खाने से हर साल लगभग 1,000 गायों की मौत हो जाती है (छायाकार – पवन प्रसाद)

कर्नाटक के मांड्या में त्रिवेणी संगम में, प्रदूषित पानी से प्लास्टिक कचरा साफ करता एक बुजुर्ग व्यक्ति। भारत हर साल 35 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा करता है (छायाकार – पवन प्रसाद)