मराठवाड़ा किसानों ने जलधाराओं का जल एकत्र कर प्राप्त की भरपूर पैदावार

वर्षा छाया क्षेत्र में स्थित होने के कारण, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र का जालना जिला अक्सर सूखे की चपेट में रहता है। जालना के गांवों में वार्षिक वर्षा 600 मि.मी. से 700 मि.मी. के बीच होती है। ग्रामीण साल में खरीफ़ और रबी की दो फ़सलें उगाते हैं। जालना के जाफराबाद प्रशासनिक ब्लॉक के पापल… Continue reading मराठवाड़ा किसानों ने जलधाराओं का जल एकत्र कर प्राप्त की भरपूर पैदावार

सामाजिक, आर्थिक चुनौतियों का सामना करते नेगामाम के बुनकर

नेगामाम दक्षिणी तमिलनाडु में कोयंबटूर से लगभग 40 कि.मी. दूर, एक छोटी सी जगह है। बुनकर 200 से ज्यादा वर्षों से शानदार हथकरघा सूती साड़ियाँ बुन रहे हैं, जिन्हें आम तौर पर ‘नेगामाम कॉटन’ के नाम से जाना जाता है। एक बुनकर, रोजारमानी मोहनराज के दिन की शुरुआत खाना पकाने, पानी भरने और अपनी किशोरी… Continue reading सामाजिक, आर्थिक चुनौतियों का सामना करते नेगामाम के बुनकर

अफ्रीकी दौरों से राजस्थानी ग्रामीण महिलाओं ने तोड़े सामाजिक बंधन 

राजस्थान के धौलपुर जिले के गोपालपुरा गांव में अपनी फसलों की देखभाल करते समय, जब भी कोई विमान ऊपर से उड़कर जाता था, तो बेबी राजपूत हमेशा ऊपर देखती रहती थी। वह अक्सर सोचती थी कि हवाई जहाज जितनी ऊंचाई पर, और पक्षियों जितनी आजादी के साथ उड़ना कैसा होता होगा। उड़ान के प्रति उनका… Continue reading अफ्रीकी दौरों से राजस्थानी ग्रामीण महिलाओं ने तोड़े सामाजिक बंधन 

“तुम एक लड़की हो। खेल पोशाक में बाहर कैसे जा सकती हो?”

कश्मीर घाटी की पहली महिला जल-क्रीड़ा पेशेवर बिल्किस मीर कहती हैं, मुझे लगता है कि मेरा रुझान हमेशा से खेलों की ओर था। जब मैं करीब 12 साल की थी, तो मैं बॉक्सर बनना चाहती थी। क्योंकि मैंने अपने चचेरे भाइयों को घर पर अभ्यास करते देखा था, तो कभी-कभी मैं भी उन्हीं मुक्कों को… Continue reading “तुम एक लड़की हो। खेल पोशाक में बाहर कैसे जा सकती हो?”