बेहतर आजीविका के लिए एक साथ आई महिलाओं का सामाजिक सशक्तिकरण हुआ है और वे सामुदायिक मुद्दों को सुलझाने और जेंडर-आधारित न्याय सुनिश्चित करने के लिए, अपनी सामूहिक शक्ति का उपयोग करती हैं
एक ऐसे समय में जब कृषि से जुड़े जीवन में तनाव और आय की अनिश्चितता बढ़ रही हैं, परिवार के लिए साधन जुटाने में ग्रामीण महिलाएं भी पुरुषों के बराबर हो रही हैं, किन्तु पितृसत्ता की पकड़ ढीली होने का नाम नहीं ले रही|