ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के आदिवासी समुदायों ने रासायनिक खाद के बिना, खाद्य उत्पादन की परम्परागत पद्यति को पुनर्जीवित किया है और इसमें व्यावहारिक बदलाव करके आर्थिक रूप से लाभदायक बनाया है।
एक तरफ कोयला चोरी दूसरी तरफ व्यापारी, इन बीच झारखण्ड के युवक- युवती आजीविका हेतु कई विडंबनाओं का सामना कर रहे हैं।