हमें इस बात पर विचार करने की जरूरत है, कि जो कभी ख़ुशियाँ, संस्कृति और आय बुनता था, वो हैंडलूम (हथकरघा) क्यों आज केवल गरीबी बुनता है? यदि कुछेक बाहरी तत्वों को छोड़ दें, तो यह क्यों हमारे ग्रामीण लोगों की आजीविका को बनाए रखने में असमर्थ है?
सदियों से मशहूर, महीन सूत से बने कपड़े, मलमल के पुनरुद्धार से, अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे पश्चिम बंगाल के पारम्परिक कताई और बुनाई करने वाले कारीगरों के जीवन में आर्थिक स्थिरता का संचार हुआ।
हैंडलूम कारीगरों के साथ काम करने वाले फैशन डिजाइनर सुनिश्चित करते हैं कि लॉकडाउन के दौरान काम की कमी के बावजूद उनकी आर्थिक जरूरतें पूरी हों, और साथ ही उनके संपर्क में रहकर उनका मनोबल ऊंचा रखते हैं