Author: संजीव फंसालकर

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लौटे प्रवासी: एक विराम या एक सपने का अंत?

लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों को घर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है। नकद बचत के बिना और काफी समय से फंसी पगार के कारण, उनका भविष्य इतना अनिश्चित है, जितना पहले कभी नहीं था

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कोरोना महामारी के बाद कैसे कम किया जाए ग्रामीण भारत का दर्द

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान और महामारी के बाद, ग्रामीण संकट के स्रोतों को समझते हुए, ग्रामीण नागरिकों की पीड़ा को कम करने वाले उपायों की आवश्यकता है

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‘कोरोना‘ ग्रामीण भारत और उसकी अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगा

लॉकडाउन के प्रभाव से शहरों में कोई आर्थिक गतिविधियां न होने के कारण, जो प्रवासी अपने मूल गांवों में वापिस आए हैं और गाँवों में रहने वाले मजदूरों के लिए आगामी महीने तकलीफदेह होंगे

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अविकसित क्षेत्रों के विकास की बाधा – कुशल पेशेवरों का अभाव!

भारत के बेहद अविकसित मध्य और पूर्वी पहाड़ी आदिवासी क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करने वाले अध्यापक और स्वास्थ्य-कर्मियों जैसे जमीनी-स्तर के कुशल पेशेवर बहुत कम हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जिसका कोई आसान समाधान भी नहीं है।