क्षेत्र पत्रिका

एक मौन सेना ग्रामीण भारत को गरीबी और असमानता से बाहर निकालने के लिए अथक प्रयास कर रही है। अपनी लेखनी और समर्पण परे, वे न वर्दी पहनते हैं, न ही हथियार रखते हैं। वे विकास जगत के पैदल सैनिक हैं। क्षेत्र के सम्बन्ध में लिखे उनके लेख पढ़ें।

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‘उल्टा दहेज – सशक्तिकरण या अधीनता?

हालांकि बरेला आदिवासियों द्वारा "दुल्हन मूल्य" यानि उल्टा दहेज देकर महिलाओं से शादी करने की प्रथा महिलाओं को सशक्त बनाने वाली प्रतीत होती है, लेकिन एक विकास कार्यकर्ता को लगता है कि यह असल में दुल्हनों को "खरीदना" है।

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मध्य प्रदेश में महिला समूहों द्वारा खाद्य सुरक्षा में सुधार

ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन के एक विकास कार्यकर्ता के अनुसार, मध्य प्रदेश में भोजन के सार्वजनिक वितरण में महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने से खाद्य सुरक्षा मजबूत हो रही है।

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वंचित बच्चों को विश्वविद्यालय जाने में मदद

कर्नाटक में आजीवन सामाजिक कार्यकर्ता के नेतृत्व में, जुनूनी, सेवानिवृत पेशेवरों के एक छोटे समूह ने हाशिये पर रह रहे प्रतिभाशाली बच्चों को ढूंढ कर उन्हें पढ़ा रहा है। उनका लक्ष्य पचास बच्चों को आईआईटी में प्रवेश दिलाना है।

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खेत-समृद्धि को गति देता एक बस ड्राइवर

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मिलिए एक बस ड्राइवर अमोल कदम से, जो अपने गांव में खेती में मदद कर रहे हैं।

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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के काम पर न आने के खतरे

आंगनवाड़ी में बच्चों की देखभाल करने वाली कार्यकर्ता गाँव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जो ग्रामीण बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को सुनिश्चित करती है। एक युवा विकास पेशेवर ने देखा कि कई महीनों तक कर्मचारी के उपस्थित नहीं होने के परिणाम क्या होते हैं।

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एक शिक्षक और कुछ अलग उनका ग्रामीण स्कूल

इस युवा विकास पेशेवर का कहना है कि वकील से शिक्षक बने व्यक्ति जैसे लोग, जो ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते है और ग्रामीण विकास के लिए काम करते हैं, समाज की प्रगति के लिए प्रेरणा हैं।

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स्थानीय शासन में महिलाएँ कहाँ हैं?

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जिला-स्तरीय शासन में बहुत कम महिलाओं को देखकर निराश दो युवा विकास पेशेवर, इसका कारण जानने के लिए प्रेरित हुए।

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अब गंदा पानी लाने के लिए 2 किमी नहीं चलना पड़ेगा

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जब सरकारी जल योजनाएं राजस्थान के दो आदिवासी गांवों में नहीं पहुँच पाई, तो चित्तौड़गढ़ के इन गाँवों की महिलाएं मामले को अपने हाथों में लेती हैं और एक ट्रीटमेंट-प्लांट और पाइप आधारित जलापूर्ति प्रणाली स्थापित करती हैं।

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झारखण्ड का गूंजता मधुमक्खी पालन व्यवसाय

केलो और जराकेल गांवों में फूलदार जंगली पेड़ों के फलने-फूलने के साथ, स्थानीय आदिवासी समुदाय मधुमक्खी पालन की मूल बातें सीखते हैं और इस क्षेत्र को झारखंड का पहला शहद-केंद्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ते हैं।