आदिवासी महिलाओं को घर पर सुरक्षित प्रसव का प्रशिक्षण

शहरों और कस्बों की महिलाओं के लिए बच्चे के जन्म का मतलब है, कार में बैठना और अस्पताल के लिए भागना। लेकिन बहुत से आदिवासी इलाके इतने सुदूर हैं कि सबसे नजदीकी अस्पताल मीलों और घंटों की दूरी पर है, जैसे कि वहां, जहां मैं ‘स्वास्थ्य स्वराज’ नाम के एक गैर-लाभकारी संगठन में काम करती… Continue reading आदिवासी महिलाओं को घर पर सुरक्षित प्रसव का प्रशिक्षण

जलवायु परिवर्तन और बाढ़ के कारण बढ़ता असम में मिट्टी का कटाव

3 करोड़ 40 लाख लोगों के निवास, सुदूर उत्तर-पूर्वी राज्य असम में, शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियाँ, हर साल मानसून के दौरान अपने किनारों को तोड़ कर खेती और आवासीय भूमि के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लेती हैं। राज्य सरकार, इंजीनियर और अन्य विशेषज्ञ सालाना बाढ़ और गहन होती वर्षा… Continue reading जलवायु परिवर्तन और बाढ़ के कारण बढ़ता असम में मिट्टी का कटाव

घुमन्तु, पशुपालक गुज्जरों की कहानी

उत्तराखंड के हिमालय की तलहटी में तराई क्षेत्र के नानकमत्ता में, बांध के आसपास शाम को रौनक रहती है। बोतलें और बर्तन लिए लोग, डेयरी किसानों के एक समुदाय के लिए कतार में लग जाते हैं, जो हर साल गर्मियों में बांध को अपना अस्थायी निवास बना लेते हैं। वे गुज्जर हैं, एक ऐसा समुदाय,… Continue reading घुमन्तु, पशुपालक गुज्जरों की कहानी

देवदासी प्रथा से लड़ती युवा लड़की

मैंने 1981 में देवदासियों पर एक अध्ययन किया था, जिसके फलस्वरूप कर्नाटक सरकार ने इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाला एक कानून बनाया। लेकिन इतने दशकों के बाद भी, देवदासी प्रथा कुछ इलाकों में जारी है, जो लड़कियों को शोषण का शिकार बनाती। स्कूल में अपने अंतिम वर्ष की एक आदिवासी लड़की, राधा स्पष्ट करती… Continue reading देवदासी प्रथा से लड़ती युवा लड़की