जलवायु परिवर्तन का असर दुनिया पर पड़ रहा है। सबसे ज्यादा गरीब सबसे ज्यादा पीड़ित है। फिर भी अक्सर ग्रामीण भारतीय सतत विकास और योजनाओं को आजमाने की दिशा में अगुआई कर रहे हैं – यदि इसे व्यापक स्तर पर शुरू किया जाए, तो वास्तविक परिवर्तन पैदा कर सकता है।
पर्यावरण
छोटी सरसों में बड़ा पैसा
असम के बाढ़ और कटाव से ग्रस्त नदी-द्वीप, माजुली में लगभग 3,000 किसान और वापिस लौटे प्रवासी, जलवायु के प्रति सहनशील सरसों उगाकर लाभ उठा रहे हैं।
लॉकडाउन में सामाजिक उद्यम को बनाए रखना
हाशिये पर जीवन जीने वाली आदिवासी महिलाओं को लेकर, भोजन परोसने के पर्यावरण-अनुकूल बर्तन बनाने वाली एक कंपनी, लॉकडाउन के समय में उनकी आजीविका बनाए रखने के लिए, आर्थिक सहायता के अलग-अलग तरीके अपनाती है।
‘यूथ हब’ – विलेज स्क्वेयर में नई गूँज
‘विलेज स्क्वेयर’ ने उत्साह के साथ अपनी नई ‘यूथ हब पहल’ शुरू की है - बेहतर भारत के निर्माण के लिए, भारत के शहरी और ग्रामीण युवाओं को विचारों के संवाद, जांच और सक्रियता के लिए एक मंच।
भारत युवा संवाद – परिवर्तन बनें!
‘विलेज स्क्वेयर’ ने अपनी नई यूथ हब पहल (‘यूथ हब इनिशिएटिव’) के अंग के रूप में, चर्चाओं की एक श्रृंखला ‘भारत युवा संवाद’ (‘दि भारत यूथ डायलॉग’) शुरू की है, जो एक बेहतर भारत के लिए, युवा विचारों के संवाद, जांच और परिवर्तन को सक्रिय करने की दिशा में गतिशील स्थान प्रदान करता है।
पनीर बनाना – आशा की एक किरण
शकीला जफर को अपनी दो गायों का दूध बेचकर गुजारा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता था। जब उनके पति की बीमारी के कारण उनका दुख और बढ़ गया, तो पनीर आपूर्ति का एक ऑर्डर आशा की किरण बन गया, जो एक सफल पनीर बनाने के व्यवसाय में बदल गया है। प्रस्तुत है उसकी कहानी।
जैविक दुग्ध पदार्थों के प्रति बढ़ते लगाव ने दिया कुटीर उद्योग को बढ़ावा
घर के बने, जैविक दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग ने कश्मीरी ग्रामीणों को प्रोत्साहन दिया है, जो कभी दूध को तरल रूप में ही बेचकर अपनी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते थे। अब दही, मक्खन और पनीर का कारोबार फलफूल रहा है।
अपनी संस्कृति तराशती नागा जनजातियाँ
नागा गांवों के सलीके से तराशे लकड़ी के प्रवेश द्वार कभी पूर्वजों को प्रसन्न करते थे। आज जो थोड़े से बचे हैं, वे प्राचीन उम्मीदों और आकांक्षाओं के प्रतीक हैं। एक विरासत, जिसे कई कारीगर संरक्षित करने के इच्छुक हैं।
जलवायु कार्रवाई का लाभ उठाकर ग्रामीण गरीबों की मदद
यदि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए विकेंद्रीकृत, समुदाय-केंद्रित कार्यक्रमों का उपयोग किया जाए, तो यह भारत के सबसे ज्यादा हाशिए पर रहने वाले ग्रामीण गरीबों के जीवन को बदल सकता है।
“वॉशरूम के लिए गुहार लगाई, तो हमें अपमानित किया गया”
विजी पालिथोडी केरल के कोझीकोड की कार्यकर्ता बनी एक दर्जी हैं, जो कार्यस्थलों पर महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। विडंबना यह है कि उनके पिता द्वारा किए गए उत्पीड़न ने ही उनमें सक्रिय कार्यकर्ता की चिंगारी जलाई। प्रस्तुत है उनकी कहानी उन्हीं के शब्दों में।