किसी समुदाय के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार, अक्सर एक बात पर आकर ठहरता है – संचार। विलेज स्क्वायर सबसे प्रभावी मेगाफोन वालों का पक्षधर है, साथ ही यह भोजन और स्वस्थ जीवन के नए या विचित्र रुझानों को प्रदर्शित भी करता है।
स्वास्थ्य
कृषि-उद्यमिता: एक कप लेमनग्रास चाय में प्रेरक पारिवारिक कहानी
पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर ‘साईबाबा गावती चाय सेंटर’ की हस्ताक्षर चाय अपने मालिक की मामूली नौकरी करने वाले लड़के से लेकर सफल कृषि-उद्यमी तक की कहानी कहता है।
आधुनिक खेती: मंगल ग्रह पर आलू उगाना? इन लद्दाखी महिला किसानों से पूछें
अपने पौधों को शत्रु तत्वों से बचाने वाली ढकी हुई नीची सुरंगों, खाइयों और अनूठे ग्रीनहाउस में सब्जियों की फसल उगा कर, लद्दाख के चांगथांग की महिला किसान भारी लाभ के लिए, आधुनिक खेती अपनाती हैं।
बहराईच में सामुदायिक सौर सिंचाई व्यवस्था से किसान कैसे फलते-फूलते हैं
किसानों के एक समूह के लिए एक सामूहिक पर्यावरण-अनुकूल सौर-संचालित सिंचाई व्यवस्था, उन्हें प्रदूषण फ़ैलाने वाले डीजल पंपों या बारिश पर निर्भरता से मुक्त करके, अधिक कमाई करने में मदद करती है।
बारपेटा सत्र: ब्रह्मचारी साधुओं की कम होती संख्या से परेशान असम के आध्यात्मिक केंद्र
परिवारों के एकल और छोटे होने से, वैष्णव मठों में ब्रह्मचर्य और कठोर सादगीपूर्ण जीवन जीने के लिए, कम बच्चे ‘केवलिया भक्त’ बनने की शपथ ले रहे हैं।
संत-कवि जनाबाई के जीवन-गीतों को जीवित रखती मराठी महिलाएँ
वारकरी धार्मिक परम्परा का पालन करते हुए, महाराष्ट्र में महिलाएँ 13वीं सदी की मराठी धार्मिक कवयित्री और संत जनाबाई के बारे में और उनके गीत गाने में गर्व महसूस करती हैं।
छठ पूजा: बिहार के हिन्दू त्योहारों में मुस्लिम महिलाओं का योगदान
प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर पकाना महत्वपूर्ण है, जिन्हें मुसलमान अपनी पारिवारिक परम्परा को जारी रखते हुए चूल्हे बनाते हैं। वे कम मुनाफे के बावजूद, हिंदू त्योहार छठ पूजा में अपने योगदान पर गर्व करते हैं।
व्यंजन-सूची में मछली: उलटे प्रवास, कुपोषण और ओडिशा के आदिवासियों की कहानी
ओडिशा में मल्कानगिरि के युवा आदिवासियों ने घर पर ही लाभदायक आजीविका मिलने से, काम की तलाश में होने वाले प्रवास को छोड़ दिया, जिससे मछली उत्पादन को बढ़ावा देने और कुपोषण से लड़ने में मदद मिली है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था: आराम और इतिहास को सिलती कर्नाटक रजाई
आमतौर पर एक अतिरिक्त प्रयास के रूप में देखी जाने वाली, कर्नाटक की रजाई बनाने वाली कुशल महिलाएं, कपड़े के रंगीन टुकड़ों को खूबसूरत ‘पैबंद रजाई’ (पैचवर्क रजाई) में बदल कर अपनी विरासत को जीवित रखती हैं और अच्छा पैसा भी कमाती हैं।
नागालैंड: रिवाज़ तोड़, युवा लड़की ने अपने सपनों की ओर कदम बढ़ाए
एक किशोरी खुद ड्रम बजाना सीखती है, अन्य लड़कियों को अपनी कुदरती प्रतिभा को निखारने के लिए प्रेरित करती है और पितृसत्ता को ख़त्म करते नागालैंड के अपने गांव के लिए भविष्य के सपने संजोती है।