यह विलेज स्क्वायर की 2016 में शुरुआत से, 2021 में पुनः लॉन्च होने तक की जेंडर-संबंधित अंतर्दृष्टिपूर्ण कहानियों का एक संग्रह है। जेंडर से सम्बंधित हाल की कहानियों के लिए “उसका जीवन” अनुभाग देखें।
जेंडर
ग्रामीण को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाना
यूथ हब द्वारा ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में 5 अगस्त, 2022 को आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन में, ग्रामीण विषयों को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के तरीकों का पता लगाने के लिए, विशेषज्ञ, विद्वान, शोधकर्ता और चिकित्सक इकठ्ठा हुए।
गृहिणी बनी सॉफ्ट टॉय उद्यमी
एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के बाद, राजस्थान की एक गृहिणी नर्म खिलौने (सॉफ्ट टॉयज) बनाने वाली शिल्प उद्यमी बन जाती है और अपने गाँव की अन्य महिलाओं को रोजगार देती है।
पर्यटकों की कमी से जूझते गोवा के ग्रामीण
मानो COVID महामारी काफी बुरी नहीं थी, रूसी युद्ध ने गोवा के पर्यटन को एक जोरदार झटका दिया है, जिससे पर्यटन पर निर्भर ग्रामीणों को आय के नए साधन खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
सरकारी कार्यालयों के बुनियादी ढांचे का संकट
हालांकि सरकार शानदार प्रशासनिक कार्यालय बनाने के लिए भारी मात्रा में धन खर्च करती है, लेकिन उनके रखरखाव और कार्यों के अनुकूल माहौल के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के बारे में कोई सोचता नजर नहीं आता।
जहां पानी की मॉनिटर लिज़र्ड खुलेआम घूमती हैं
जब मानव-जानवर संघर्ष बढ़ रहा है, पश्चिम बंगाल के एक गाँव के लोग पानी की मॉनिटर लिज़र्ड (एक तरह की छिपकली) के साथ सह-अस्तित्व में रहते हैं। अन्य कारणों के अलावा, उनके इस विश्वास की बदौलत कि इन छिपकलियों वाला तालाब भूतिया है, ने इनके संरक्षण में योगदान दिया है।
चकला गाँव के आदर्श मिश्रण – चाय और ‘बंधु’
चकला गांव के लोग अब्दुल नज़र से तब तक किनारा करते रहे, जब तक उन्हें यह एहसास नहीं हो गया कि नज़र की चाय की दुकान उनके गाँव के विकास को ऊँची छलांग दे सकती थी।
अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस – भाषा की खाई को पाटना
दोस्ती क्या है? क्या यह केवल इंसानों के बीच ही हो सकती है? इस वर्ष नस्ल, भाषा और संस्कृति के बीच की खाई को पाटने के विषय के साथ, इस अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस पर हम मनुष्यों और जानवरों के बीच के अनूठे बंधन को प्रदर्शित करते हैं, जो दोस्ती नामक आपसी संबंध का एक सच्चा उदाहरण है। ये तस्वीरें इंसानों और जानवरों के बीच दोस्ती को एक अलग भाषा के तौर पर दर्शाती हैं।
“भारत बाघ संरक्षण का गुरु है”
हाल के वर्षों में राष्ट्रीय पशु, बाघों को बचाने के भारत के प्रयासों को जबरदस्त सफलता मिली है। इस समय भारत में बाघ आबादी 3,000 है। यह उपलब्धि कैसे हासिल की गई और भारत की अन्य संकटग्रस्त वन्यजीव प्रजातियों के लिए इसका क्या मतलब है, इसे समझने के लिए हमने ‘वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ के मुख्य परिस्थिति वैज्ञानिक, डॉ. समीर कुमार सिन्हा से बात की।
सुंदरबन की जीवन बदलने वाली यात्रा से बनी ‘SOUL’
अविकसित और दूरदराज स्थित ‘जी-प्लॉट’ द्वीप की एक सप्ताहांत यात्रा ने एक कॉर्पोरेट कार्यकारी को अपनी नौकरी छोड़ने और ‘SOUL’ शुरू करने के लिए प्रेरित किया। जैसा कि SOUL के एक वालंटियर ने रिपोर्ट किया, यह वहां रहने वाले आदिवासियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है।