COVID-19 महामारी समाप्ति से बहुत दूर है। बहुत से लोग अभी भी दूसरी लहर से जूझ रहे हैं, जबकि अन्य लोग तीसरी लहर के लिए तैयारी कर रहे हैं। यहाँ भारत के भीतरी इलाकों से नवीनतम COVID-19 समाचार प्रस्तुत हैं।
Covid-19
वंचित ग्रामीण छात्रों के लिए सुलभ शिक्षा
राजस्थान में विकास के अभाव वाले ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित, राज्य सरकार द्वारा संचालित मॉडल स्कूल, सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुफ़्त प्रदान कर रहे हैं।
ग्रामीण भारत में हैंडलूम क्या केवल गरीबी बुनने में सक्षम हैं?
हमें इस बात पर विचार करने की जरूरत है, कि जो कभी ख़ुशियाँ, संस्कृति और आय बुनता था, वो हैंडलूम (हथकरघा) क्यों आज केवल गरीबी बुनता है? यदि कुछेक बाहरी तत्वों को छोड़ दें, तो यह क्यों हमारे ग्रामीण लोगों की आजीविका को बनाए रखने में असमर्थ है?
आधार की अनिवार्यता बनी कल्याण योजनाओं की पहुंच में बाधक
सरकारी योजनाओं के फर्जी लाभार्थियों को बाहर करने के उद्देश्य से, ‘आधार’ को राशन कार्ड और बैंक खातों के साथ जोड़ने से, लॉकडाउन के दौरान बहुत से लोगों को बेहद जरूरी प्रावधानों से वंचित कर दिया है
लंबाणी कशीदाकारी ने बनाई, फैशन की एक पहचान
कर्नाटक के लंबाणी आदिवासी समुदाय की विशिष्ट कसुति केल्सा (एक तरह की कढ़ाई) से सजी आधुनिक पोशाकों ने पारम्परिक शिल्प को जीवित रखने और फलने-फूलने में स्थानीय महिलाओं की मदद की है
लॉकडाउन से, खानाबदोश (घुमन्तु) चरवाहों के रास्तों में आई, नई कठिनाइयाँ
ग्रीष्मकालीन चरागाहों की ओर प्रवास और संयोगवश पहले लॉकडाउन के उसी समय होने और आवाजाही पर भारी प्रतिबंधों के कारण, चरवाहों को भेदभाव के अलावा, चरागाहों, पानी और चारे का अभाव झेलना पड़ा
थार रेगिस्तान की महिला कारीगरों ने, कशीदाकारी के माध्यम से मुसीबतों से पाया छुटकारा
1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान से विस्थापन की परवाह किए बिना और अब निर्दयी थार रेगिस्तान के बीकानेर जिले में रहने वाली महिलाओं ने, गरिमापूर्ण जीवन यापन के लिए पारम्परिक कशीदाकारी के अपने कौशल का उपयोग किया
ऑनलाइन कक्षाएं, ग्रामीण लड़कियों की शिक्षा का अंत है
घर में एकमात्र मल्टीमीडिया फोन के इस्तेमाल के लिए लड़कों को वरीयता मिलने के कारण, गरीब ग्रामीण परिवारों की लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी, और खुद को जल्द शादी की स्थिति के हवाले कर दिया
मलमल को पुनर्जीवित करके बंगाल के बुनकरों ने बुनी सफलता
सदियों से मशहूर, महीन सूत से बने कपड़े, मलमल के पुनरुद्धार से, अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे पश्चिम बंगाल के पारम्परिक कताई और बुनाई करने वाले कारीगरों के जीवन में आर्थिक स्थिरता का संचार हुआ।
उपचार और जागरूकता से महिलाओं को मिली, एनीमिया से निपटने में मदद
व्यापक रूप से परीक्षण, प्रभावितों का इलाज, और कुपोषण से मुक्ति के लिए भोजन सम्बन्धी आदतों के बारे में जागरूकता के कारण महिलाओं में एनीमिया के प्रसार में कमी और स्वास्थ्य में सुधार हुआ है