Covid-19

COVID-19 महामारी समाप्ति से बहुत दूर है। बहुत से लोग अभी भी दूसरी लहर से जूझ रहे हैं, जबकि अन्य लोग तीसरी लहर के लिए तैयारी कर रहे हैं। यहाँ भारत के भीतरी इलाकों से नवीनतम COVID-19 समाचार प्रस्तुत हैं।

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सागर द्वीप के किसानों के लिए, औषधीय जड़ी-बूटियों से आई समृद्धि

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय औषधि और पौष्टिक-औषधि बाजारों में ब्राह्मी की मांग को देखते हुए, सागर द्वीप के किसान धान की खेती छोड़कर जैविक ब्राह्मी अपना रहे हैं और अच्छा आर्थिक लाभ कमा रहे हैं।

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सामुदायिक रसोई से मिली, आदिवासी बच्चों को कुपोषण से मुक्ति

ऊबड़-खाबड़ रास्ते आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुँच और इस कारण पौष्टिक भोजन मिलने में बाधा हैं, इसलिए कुपोषण से लड़ने के लिए, पुरुष गांव में आंगनवाड़ी राशन लाते हैं, महिलाएं एक सामूहिक स्थान पर खाना बनाकर बच्चों को खिलाती हैं

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पितृसत्ता, स्थिरता और लज्जा

ग्रामीण विकास के मौजूदा मॉडल की रूपरेखाओं में, जेंडर-लैंस का अभाव है, जो महिलाओं को उनकी सीमांकित भूमिका में छोड़ देता है, और इस दिशा में प्रगति या सशक्तिकरण कहीं दिखाई नहीं पड़ता

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दूरदराज के इलाकों के मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाने में, कैसे बाइक-एम्बुलेंस सहायक है

जंगलों के कारण अलग हुए दूरदराज के गांवों, जिन्हें जोड़ने वाली सड़कें भी नहीं हैं, से अस्पतालों तक पहुँचना मुश्किल होता है। पहुँच की इस कमी को पाटते हुए, बाइक-एम्बुलेंस मरीजों को आपातकालीन चिकित्सा सुविधा प्रदान करती है

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बौद्धिक रूप से अक्षम लोगों के लिए, उपचार साबित होती है खेती

आवासीय खेत में विभिन्न गतिविधियों से, बौद्धिक विकलांग लोगों को आजीविका के अलावा, कई सामाजिक और जीवन कौशल सीखने में मदद मिलती है

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ग्रामीण महिलाओं के समूह सशक्तिकरण के लिए हैं

गाँवों में स्व-सहायता समूह, महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण प्रदान करते हैं, जिससे अपने मामलों को सँभालने की उनकी क्षमता को लेकर व्याप्त धारणाएं बदल गई हैं

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‘युवा-शास्त्र’ कार्यक्रम ने आदिवासी क्षेत्रों के युवाओं में पैदा किया जागरूकता एवं आगे बढ़ने का जज़्बा

युवा उत्थान के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के मंडला जिले में चलाए जा रहे कार्यक्रम, ‘युवा-शास्त्र’ के माध्यम से युवाओं को कौशल-प्रशिक्षण, शिक्षा और रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं|

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घर के बगीचों द्वारा ओडिशा की महिलाओं ने किया कुपोषण से मुकाबला

ओडिशा के संकटग्रस्त और कुपोषित क्षेत्रों में, महिलाएं अपने परिवार को जैविक सब्जियां और फलियां खिलाने के लिए, साल भर लगातार, बिना किसी अतिरिक्त लागत के पोषण उद्यान लगा रही हैं।

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शिक्षकों ने ग्रामीण घरों के आंगन को कक्षाओं में बदला

झारखंड के एक गाँव के एक सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने, मिट्टी के घरों की बाहरी दीवारों को ब्लैकबोर्ड में और चौकियों को ऊपर तक बनाकर सीटों में बदल दिया, ताकि छात्रों की पढ़ाई सुनिश्चित हो सके