Covid-19

COVID-19 महामारी समाप्ति से बहुत दूर है। बहुत से लोग अभी भी दूसरी लहर से जूझ रहे हैं, जबकि अन्य लोग तीसरी लहर के लिए तैयारी कर रहे हैं। यहाँ भारत के भीतरी इलाकों से नवीनतम COVID-19 समाचार प्रस्तुत हैं।

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ओडिशा के ग्रामीणों का लाल चींटी से संघर्ष

अपने डंक से चकत्ते और सूजन करने वाले, लाल अग्नि चींटी रुपी ‘दुश्मनों’ के सैलाब से लड़ने के लिए, ओडिशा के एक गांव के निवासियों को रासायनिक छिड़काव के द्वारा लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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भारत की खान-पान की आदतों पर आश्चर्यजनक निष्कर्ष

‘डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट’ (डीआईयू) का एक नया अध्ययन, ग्रामीण भारत की खान-पान की आदतों पर प्रकाश डालता है और कई मिथकों को नकारता है, जैसे अमीर लोग गरीबों की तुलना में ज्यादा विविध आहार खाते हैं।

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वंचित बच्चों को विश्वविद्यालय जाने में मदद

कर्नाटक में आजीवन सामाजिक कार्यकर्ता के नेतृत्व में, जुनूनी, सेवानिवृत पेशेवरों के एक छोटे समूह ने हाशिये पर रह रहे प्रतिभाशाली बच्चों को ढूंढ कर उन्हें पढ़ा रहा है। उनका लक्ष्य पचास बच्चों को आईआईटी में प्रवेश दिलाना है।

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एथलिट से गांव की नेता बनी आदिवासी लड़की

गांव के लोगों के द्वारा पंचायत का मुखिया बनाए जाने तक, भाग्यश्री लेकामी का ध्यान खेल के पेशे में आने पर था। श्रमिकों का विश्वास जीतने से लेकर टीके के प्रति झिझक दूर करने तक, अब वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती हैं कि उनके गांव की प्रगति हो।

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नई संसद के लिए बने प्रसिद्ध कश्मीरी कालीन

प्रसिद्ध कश्मीरी कालीन भारत के नए संसद भवन के लिए विशेष रूप से बनाए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र के मशहूर हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

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खेत-समृद्धि को गति देता एक बस ड्राइवर

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मिलिए एक बस ड्राइवर अमोल कदम से, जो अपने गांव में खेती में मदद कर रहे हैं।

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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के काम पर न आने के खतरे

आंगनवाड़ी में बच्चों की देखभाल करने वाली कार्यकर्ता गाँव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जो ग्रामीण बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को सुनिश्चित करती है। एक युवा विकास पेशेवर ने देखा कि कई महीनों तक कर्मचारी के उपस्थित नहीं होने के परिणाम क्या होते हैं।

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देशी बीजों के संरक्षण के लिए छोड़ी कॉर्पोरेट नौकरी

प्रकृति की विविधता और संरक्षणवादियों के काम से अभिभूत, सौम्या बालासुब्रमण्यम के मन में एक विचार पैदा हुआ, जिसने उन्हें अपनी आईटी नौकरी छोड़ने और स्थानीय किसानों के साथ बीज संरक्षण समूह बनाने की चुनौतीपूर्ण भूमिका अपनाने के लिए मजबूर कर दिया।

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स्क्रॉल के माध्यम से कहानी कहने की कला को कायम रखता पटुआ समुदाय

स्क्रॉल (लपेटा जा सकने वाली पेंटिंग) और गीतों के माध्यम से, कहानी कहने की पटुआ कला विभिन्न रूपांतरों में फल-फूल रही है, जिससे इस कला ने दुनिया के नक़्शे पर जगह बना ली है।